महामारी के दौर में ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के समक्ष अपना दबदबा गंवाने वाला बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस एक बार फिर अपना खोया हुआ मुकाम हासिल करने की कोशिश में है। महामारी के दौरान फिल्मों की कमाई थिएटर के बजाय ओटीटी मंचों परअधिक निर्भर हो गई थी। कोविड संबंधी प्रतिबंधों के कारण सिनेमाघर या तो बंद कर दिए गए थे या फिर उन्हें सीमित क्षमता के साथ संचालित किया जा रहा था। ऐसे में फिल्मों की ज्यादातर कमाई इन्हीं ओटीटी प्लेटाफॉर्म से हो रही थी। यही कारण है कि सामान्य दिनों में जहां किसी फिल्म के राजस्व में डिजिटल अधिकारों की हिस्सेदारी 30-40 प्रतिशत रहती थी वह कोविड काल में बढ़कर 50-60 प्रतिशत हो गई।
परंतु अब हालात बदल रहे हैं। ओटीटी कंपनियों ने प्रोडक्शन कंपनियों के साथ आकर्षक सौदेबाजी की। इसके तहत फिल्मों को सिनेमाघर में रिलीज करने तथा ओटीटी पर प्रदर्शित करने के बीच का अंतर आठ सप्ताह से कम करके चार सप्ताह कर दिया गया। परंतु आगामी 1 अगस्त से फिल्म निर्माता पुराने नियमों की ओर लौट रहे हैं क्योंकि सिनेमा पूरी क्षमता से खुल रहे हैं और दर्शकों की भीड़ भी जुट रही है।
यह निर्णय महत्त्वपूर्ण है। मल्टीप्लेक्स के मालिकों का मानना है कि इससे थिएटर में दर्शक बढ़ेंगे और राजस्व में सुधार होगा क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग बड़े परदे पर सिनेमा देखने आएंगे। ऐसे में प्रोडक्शन हाउस के लिए अपनी फिल्मों को पहले ही महंगी दरों पर ओटीटी को बेचकर वित्तीय बचाव हासिल करना और मुश्किल होगा।
लेकिन बॉलीवुड के प्रमुख सितारों के लिए यह एक चेतावनी की तरह है। देश भर में सिनेमा घर खुलने के बाद उनकी हालिया फिल्में बॉक्स ऑफिस पर ढेर हो गई हैं। बॉलीवुड के बड़े सितारों में सात (अक्षय कुमार, रणवीर सिंह, अजय देवगन, वरुण धवन, सैफ अली खान, जॉन अब्राहम और शाहिद कपूर) की फिल्में इस बीच रिलीज हुईं जिनका कुल बजट 1,155 करोड़ रुपये रहा। ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बमुश्किल 412 करोड़ रुपये कमा सकीं।
इनमें सबसे भरोसेमंद माने जाने वाले अभिनेता अक्षय कुमार की लगातार दो फिल्में फ्लॉप रहीं। यशराज फिल्म्स की सम्राट पृथ्वीराज 200 करोड़ रुपये में बनी और बमुश्किल 80 करोड़ रुपये कमा सकी। कुछ माह पहले उनकी एक और फिल्म बच्चन पांडेय बॉक्स ऑफिस पर केवल 50 करोड़ रुपये कमा सकी थी जो उसकी कुल लागत का एक तिहाई था।
बड़े प्रोडक्शन हाउस को भी दर्शकों की नकार का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए यशराज फिल्म्स को तीन नाकामियों का सामना करना पड़ा। कारोबारी विश्लेषकों के अनुमानों के मुताबिक दिसंबर के बाद से सम्राट पृथ्वीराज, जयेशभाई जोरदार तथा बंटी और बबली ने मिलकर बॉक्स ऑफिस पर करीब 100 करोड़ से कुछ अधिक रुपये की कमाई की। यह राशि इन फिल्मों पर हुए खर्च की एक तिहाई भी नहीं है। एक चुनौती यह भी है कि बॉलीवुड के सितारों और प्रोडक्शन हाउस की फिल्मों की जगह दक्षिण भारत की हिंदी में डब सुपरहिट फिल्में ले रही हैं। कोईमोई के आंकड़ों के अनुसार 2022 में बॉक्स ऑफिस संग्रह के लिहाज से 10 शीर्ष फिल्मों की कुल कमाई में आधी राशि दक्षिण की तीन डब फिल्मों, आरआरआर, केजीएफ2 और पुष्पा (कुल मिलाकर 800 करोड़ रुपये से अधिक) से आई। इससे साफ पता चलता है कि दर्शकों की पसंद बदल रही है।
रिलायंस एंटरटेनमेंट के पूर्व कार्याधिकारी और कई ब्लॉकबस्टर्स के निर्माता शिवाशिष सरकार ने कहा, ‘हम दर्शकों की पसंद में एक स्पष्ट बदलाव देख रहे है। इससे साफ पता चलता है कि दर्शक बड़े पर्दे पर केजीएफ 2 और आरआरआर जैसी बड़ी फिल्में और ओटीटी पर अन्य सामाजिक और रोमांटिक नाटक देखना चाहते हैं। हर हफ्ते रिलीज होने वाली फिल्मों की भीड़ है, इसलिए दर्शकों को उसमें से चुनना होगा।’ सरकार ने अमेरिका में मनोरंजन कंपनियों में खरीदारी के लिए धन जुटाने के लिए एक विशेष प्रयोजन अधिग्रहण कंपनी या एसपीएसी भी शुरू की है।
सरकार ने बताया कि महामारी से पहले भी यह एक वैश्विक प्रवृत्ति रही है, जहां मार्वल जैसी फ्रैंचाइजी ने विश्व स्तर पर बॉक्स ऑफिस के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, लेकिन ऑस्कर जीतने वाली फिल्मों ने केवल विशिष्ट दर्शकों को ही आकर्षित किया है।
अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नई फिल्म के रिलीज होने के लंबे अंतर के कारण टिकट की कीमतों में 15 से 20 फीसदी की वृद्धि प्रदर्शकों को कोरोना से पहले के स्तर (1,500 करोड़ रुपये प्रति माह) तक पहुंचने में मदद कर सकता है। पीवीआर लिमिटेड में बिजनेस प्लानिंग एंड स्ट्रैटेजी के कार्याधिकारी और मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कमल ज्ञानचंदानी ने कहा, ‘पीवीआर में हमारी औसत मौजूदगी 36-37 फीसदी है। हमें उम्मीद है कि आठ सप्ताह की अवधि के कारण सिनेमाघरों में दर्शकों की संख्या में 2-3 फीसदी की वृद्धि होगी और इससे अधिक राजस्व प्राप्त होगा। फिल्म उद्योग में हमारी औसत मौजूदगी 26-27 फीसदी है। व्यापार विश्लेषक कोमल नाहटा कहते हैं कि ऐसे लोग जो यह तय नहीं कर पा रहे थे कि फिल्म को स्क्रीन पर देखना है या ओटीटी पर, अब शायद बड़ी संख्या में वह बड़े स्क्रीन का विकल्प चुनेंगे। नाहटा ने कहा, ‘ये लोग फिल्म के पहले सप्ताह के दर्शकों की संख्या को बढ़ाएंगे जो नाटकीय रूप से कम हो गया था और अगले कुछ हफ्तों के लिए यह फिल्म की दिशा भी तय करेंगे। कई मामलों में (खासकर दोपहर के शो में) दर्शकों की मौजूदगी 15-20 फीसदी तक कम होती है।
उदाहरण के रूप में वह धर्मा प्रोडक्शन की नई रिलीज हुई फिल्म जुगजुग जीयो की ओर इशारा करते हैं, जिसमें वरुण धवन, अनिल कपूर और कियारा आडवाणी हैं। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन 10 करोड़ रुपये भी नहीं कमा पाई थी। जबकि इसे कम से कम 15-16 करोड़ रुपये की कमाई करनी चाहिए थी।
इस फिल्म को अपने 105 करोड़ रुपये के बजट को निकालने के लिए बॉक्स ऑफिस पर अभी लगभग 79 करोड़ रुपये और कमाने की जरूरत है। फिर भी इन फिल्मों के निर्माताओं का पैसा नहीं डूबा है। क्योंकि ओटीटी प्लेटफॉर्म ने इन फिल्मों को अपने प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए मोटी रकम का भुगतान पहले ही कर दिया था। हालांकि ओटीटी प्लेटफॉर्म यह नहीं बताते कि उन्होंने कितना भुगतान किया है। उनके कुछ बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ एक से अधिक फिल्मों का सौदा हैं। नाहटा ने कहा कि वे आम तौर पर ए-सूची वाले सितारों की फिल्मों के लिए 80-90 करोड़ रुपये का भुगतान करते हैं। यदि फिल्म में कोई सुपरस्टार है तो वह इससे भी अधिक भुगतान करते है।
अब ओटीटी प्लेटफॉर्म को नई फिल्म को अपने प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने के लिए आठ सप्ताह का इंतजार करना होगा। इससे ओटीटी प्रीमियम 10 से 20 फीसदी के बीच गिर जाएगा। सरकार ने आशंका जताई कि आगे चलकर केवल शीर्ष 10-30 फिल्मों की ही पहले बिक्री होगी।
