लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को अमेरिका द्वारा लगाए जा रहे जवाबी शुल्क के मुद्दे पर कहा कि इससे देश में आर्थिक तबाही आने वाली है, जो लाखों लोगों को नुकसान पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि आसन्न संकट के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ नहीं बोल रहे हैं।
अहमदाबाद में कांग्रेस के दो दिवसीय 86वें अधिवेशन के समापन पर बुधवार को कांग्रेस नेता ने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर 4 अप्रैल को समाप्त हुए संसद के बजट सत्र के दौरान दो दिन तक नाटक करने का आरोप लगाया और कहा कि यह सब अमेरिकी शुल्कों के मुद्दे से आम जनता का ध्यान भटकाने के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि संसद में सत्ताधारी दल की नौटंकी वैसी ही थी, जैसी कोविड-19 महामारी के दौरान सरकारी बदइंतजामी से ध्यान हटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से बर्तन बजाने के लिए कहा था।
गांधी ने सवाल किया, ‘अमेरिका के जवाबी शुल्क के कारण आर्थिक तूफान सामने है, जिससे लाखों लोगों को बड़ा नुकसान होगा। आज बेरोजगारी 50 साल के उच्च स्तर पर है। मोदी जी कहां छिपे हैं?’ कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने दोस्त अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा थोपे गए शुल्कों पर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।
अधिवेशन में ‘न्याय पथ’ नामक 12-पृष्ठ का प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसमें सरकार पर एक कमजोर और विफल विदेश नीति अपनाने का आरोप लगाया गया है। इसमें वर्तमान शासन पर व्यक्तिगत ब्रांडिंग के लिए भारत की विदेश नीति से समझौता करने एवं निजी स्वार्थ साधने का आरोप भी लगाया गया है।
कांग्रेस के इस प्रस्ताव में बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्वों के उभार को गंभीर चिंता का विषय बताया गया, क्योंकि इसने पहले ही हिंदू, बौद्ध और ईसाई आदि धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए असुरक्षित वातावरण बना दिया है। अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री हाल ही में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के साथ बैठे थे, लेकिन उन्होंने भारत की चिंताओं को उनके समक्ष नहीं उठाया।
भारत-अमेरिका संबंधों पर कांग्रेस ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों की समर्थक है, लेकिन यह सब अपने राष्ट्रीय हितों की कीमत पर नहीं होना चाहिए। अमेरिका द्वारा 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने के मुद्दे पर कांग्रेस ने कहा कि इससे किसानों, वाहन और दवा क्षेत्रों को नुकसान होगा।
इससे पहले अपने भाषण में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर संसद में शुल्कों के मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया, राज्य विधान सभाओं द्वारा पारित विधेयकों को रोकने में राज्यपाल की शक्तियों पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया और कहा कि 2025 कांग्रेस संगठनों के पुनर्निर्माण का वर्ष होगा।
खरगे ने चेतावनी के अंदाज में कहा, ‘जो नेता पार्टी के काम में योगदान नहीं कर रहे हैं, उन्हें सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए।’ कांग्रेस अध्यक्ष और बाद में राहुल गांधी ने भी स्पष्ट कहा, ‘पार्टी ने फैसला किया है कि उसके जिला अध्यक्ष उसके संगठनात्मक ढांचे की नींव होंगे। उम्मीदवारों के चयन पर निर्णय लेने की शक्ति उन्हीं के पास होगी।’
कांग्रेस के 12 पन्नों के प्रस्ताव में पार्टी ने कहा, ‘न्यायिक स्वतंत्रता से समझौता किए बिना न्यायिक जवाबदेही के लिए ठोस तंत्र बनाया जाना चाहिए।’ प्रस्ताव में देश में स्थिर वेतन और बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता को भी चिंता का विषय बताया गया, जिसके कारण केवल पांच वर्षों में सोने के ऋण में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।