राजनीति

In Parliament: राज्यसभा का 268वाँ सत्र सम्पन्न, महज 38.88% उत्पादकता, व्यवधानों पर गहरी चिंता व्यक्त

इस सत्र में राज्यसभा कुल 41 घंटे 15 मिनट ही चली। केवल 14 प्रश्न, 7 ज़ीरो ऑवर प्रस्तुतियाँ और 61 विशेष उल्लेख ही सदन में उठाए जा सके।

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निमिष कुमार   
Last Updated- August 21, 2025 | 6:17 PM IST

राज्यसभा का 268वाँ सत्र शुक्रवार को औपचारिक रूप से संपन्न हो गया। सत्र के समापन पर उप-सभापति ने गहरी चिंता जताई कि तमाम प्रयासों के बावजूद सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई, जिससे न केवल कीमती समय का नुकसान हुआ, बल्कि कई महत्वपूर्ण सार्वजनिक मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकी। इस सत्र में राज्यसभा कुल 41 घंटे 15 मिनट ही चली। उत्पादकता महज 38.88 प्रतिशत रही, जिसे उप-सभापति ने गंभीर आत्ममंथन का विषय बताया।

  • पूछे गए प्रश्न: 285
  • ज़ीरो ऑवर में उठाए गए मुद्दे: 285
  • विशेष उल्लेख: 285

राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश ने कहा कि इनमें से केवल 14 प्रश्न, 7 ज़ीरो ऑवर प्रस्तुतियाँ और 61 विशेष उल्लेख ही सदन में उठाए जा सके। यह संख्या इस गरिमामयी सदन की संभावनाओं का एक छोटा हिस्सा मात्र है। सत्र के दौरान 15 सरकारी विधेयक पारित या वापस किए गए। साथ ही, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा चलाए गए सशक्त ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दो दिवसीय विशेष चर्चा हुई, जिसमें 64 सदस्यों ने भाग लिया, और अंत में गृहमंत्री ने जवाब दिया।

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वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भारत–अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार पर स्वप्रेरित वक्तव्य दिया, जिससे भारत के बढ़ते वैश्विक आर्थिक सहयोग पर महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुईं। इसके अलावा, उपराष्ट्रपति पद में रिक्ति की जानकारी भी सदन को दी गई। सत्र के दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा के छह सदस्यों का कार्यकाल 24 जुलाई 2025 को समाप्त हुआ। उन्हें सदन की ओर से भावभीनी विदाई दी गई।

राज्यसभा के उप-सभापति ने अंत में कहा, “मैं उप-सभापति मंडल के सहयोग और तत्परता के लिए धन्यवाद देता हूँ। साथ ही, सचिवालय और सभी अधिकारियों की उत्कृष्ट सेवा, समर्पित प्रयास और सूक्ष्म योजना के लिए भी हार्दिक प्रशंसा करता हूँ, जिनके प्रयासों से सत्र का संचालन संभव हो सका।” सभापति ने उम्मीद जताई कि इस सत्र से मिले अनुभव और सीख आने वाले समय में सदन को अधिक रचनात्मक, अनुशासित और उद्देश्यपूर्ण बनाने में मददगार होंगे।

राज्यसभा का 268वाँ सत्र कई मायनों में चुनौतीपूर्ण रहा। लगातार बाधाओं ने जहाँ सदन की कार्यवाही को सीमित किया, वहीं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत-अमेरिका व्यापार जैसे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर हुई चर्चाएं इसकी कुछ सकारात्मक झलकियाँ रहीं। अब यह देखना होगा कि भविष्य के सत्रों में सांसद सदन की गरिमा को बनाए रखते हुए, जनहित के मुद्दों पर सार्थक संवाद को प्राथमिकता देते हैं या नहीं।

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First Published : August 21, 2025 | 6:10 PM IST