कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक मंगलवार को अहमदाबाद में आयोजित हुई। इस बैठक के माध्यम से पार्टी ने अपने दो दिग्गज नेताओं महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मभूमि गुजरात से नए सिरे से जुड़ाव कायम करने का प्रयास किया। पार्टी ने इस बात को भी रेखांकित करने का प्रयास किया कि पटेल की राजनीतिक विरासत की असली वारिस भारतीय जनता पार्टी नहीं बल्कि कांग्रेस है। जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के बीच के करीबी रिश्ते को रेखांकित करते हुए कहा गया कि उनकी जुगलबंदी ने आधुनिक भारत को आकार दिया।
कांग्रेस ने भारतीय राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक लोकाचार के अपने विचार को भी परिभाषित करने का प्रयास किया। पार्टी ने कई समकालीन चिंताओं को भी सामने रखा। मसलन अमेरिका द्वारा 26 फीसदी जवाबी शुल्क लगाने के मामले में भारतीय जनता पार्टी की सरकार की घुटने टेकने वाली विदेश नीति और भारतीय नागरिकों को ‘जानवरों जैसा सुलूक’ करते हुए अमेरिका से वापस भेजने की घटना का उल्लेख किया गया। यह भी कहा गया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में इस अमानवीय व्यवहार का बचाव किया।
सीडब्लयूसी कांग्रेस की सर्वोच्च निर्णय संस्था है। बैठक में विस्तारित सीडब्ल्यूसी के 158 सदस्य शामिल हुए जबकि वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी समेत 35 सदस्य अनुपस्थित रहे। उनकी अनुपस्थिति के बारे में कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे से इसकी इजाजत ली है। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि कुल 35 सदस्य अनुपस्थित थे और ऐसे में किसी एक व्यक्ति को निशाना बनाना उचित नहीं है।
दो दिवसीय बैठक के पहले दिन पार्टी ने दो पन्नों का एक प्रस्ताव पारित किया जिसका शीर्षक है- ‘स्वतंत्रता संग्राम के ध्वजवाहक-हमारे सरदार वल्लभभाई पटेल।’ पार्टी बुधवार को दो और प्रस्ताव पारित करेगी जिनमें से एक गुजरात के समाज और अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है और जिसमें राज्य के खराब सामाजिक सूचकांकों का जिक्र है। 2017 में कांग्रेस विधान सभा चुनाव में करीबी मुकाबले में हार गई थी लेकिन 2022 के चुनाव में उसे भारी हार का सामना करना पड़ा था।
पार्टी 2027 के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है और उसकी कोशिश है कि वह प्रदेश और वहां के लोगों के साथ पुराने संबंधों को नए सिरे से जिंदा करे। बुधवार को पारित होने जा रहे दूसरे प्रस्ताव में कांग्रेस ने कहा है कि वह भारत-अमेरिका के बीच करीबी रिश्तों की हिमायती है लेकिन देश के राष्ट्रीय हितों की कीमत पर बिल्कुल नहीं। प्रस्ताव में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत को टैरिफ का दुरुपयोग करने वाला देश कहकर हमारी सार्वजनिक बेइज्जती की गई है।
यह भी कहा गया है कि अमेरिका की भारत से अमेरिकी कृषि उत्पादों, वाहन, शराब और औषधियों आदि पर शुल्क कम करने की मांग देश के किसानों और घरेलू वाहन तथा दवा उद्योग को तगड़ा झटका साबित होगी। पार्टी ने राष्ट्रवाद के अपने विचार को अधिकारों के संरक्षण, और वंचितों की प्रगति की समता तथा ऐसे राष्ट्रवाद के रूप में परिभाषित करना चाहा है जो समूचे देश को बंधुत्व के भाव से बांधे और जो देश की बहुलतावादी संस्कृति में निहित हो।