उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के दौरान हुए निवेश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में स्थित यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण ने बाजी मारी है। महामारी के दौर में विभिन्न औद्योगिक प्राधिकरणों में हुए लगभग 9]700 करोड़ रुपये के निवेश में अकेले यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) में 7,006 करोड़ रुपये आए हैं।
चालू वित्त वर्ष में राज्य के औद्योगिक विकास प्राधिकरणों द्वारा अब तक लगभग 9,700 करोड़ रुपये के निवेश और लगभग 1.95 लाख रोजगार सृजन की संभावना वाली परियोजनाओं को लगभग 740 एकड़ जमीन पर 1,097 भूखण्ड आवंटित किए गए हैं।
इन निवेश परियोजनाओं में से लगभग 1.71 लाख रोजगार की संभावना वाली परियोजनाओं के लिए 566 एकड़ पर 871 भूखण्ड का आवंटन तो केवल यमुना एक्सप्रेस-वे में ही किया गया है। इनमें सेक्टर 29 और 33 में एपेरल पार्क के 124 भूखण्ड, हस्तशिल्प पार्क के 76, एमएसएमई पार्क के 516 और खिलौना पार्क के 111 भूखण्ड शामिल हैं।
इसके अलावा अन्य प्राधिकरणों जैसे उ.प्र. राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने 588 करोड़ रुपये के निवेश और 8,441 रोजगार की संभावना वाली परियोजनाओं के लिए लगभग 52 एकड़ में 123 भूखण्ड आवंटित किए हैं। नोएडा ने 1,341 करोड़ रुपये के निवेश और 14,500 रोजगार की संभावना वाली परियोजनाओं के लिए 92 एकड़ जमीन पर 101 भूखण्ड आवंटित किए हैं।
कुछ प्रमुख निवेशक जिन्हें हाल ही में भूमि आवंटित की गई है, उनमें हीरानंदानी, सूर्या ग्लोबल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एमजी कैप्सूल्स, केशो पैकेजिंग, माउंटेन व्यू टेक्नोलॉजीज आदि शामिल हैं।
कोरोना संकट के ही दौर में राज्य सरकार ने 40 से अधिक विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में सफलता पाई है, जिसमें लगभग 10 देशों, जैसे- जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस), यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, जर्मनी, दक्षिण कोरिया आदि की कंपनियों के लगभग 45000 करोड़ रुपये के निवेश-प्रस्ताव शामिल हैं।
औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 के बाद लगभग 8500 करोड़ रुपये के निवेश वाली 7 परियोजनाओं में वाणिज्यिक संचालन शुरु हो गया है, जबकि लगभग 6400 करोड़ रुपये के निवेश की 19 परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि हेरिटेज सिटी के अलावा गौतमबुद्ध नगर में 350 एकड़ में मेडिकल डिवाइस पार्क और 1000 एकड़ में फिल्म सिटी प्रस्तावित है।
प्रदेश में गैर-आईटी आधारित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के लिए एक नई स्टार्टअप नीति घोषित की गई है। इस तरह से डाटा सेंटर नीति और बीमार ईकाईयों के लिए भी नीति जल्दी ही घोषित की जाएगी। बुंदेलखण्ड और पूर्वांचल में निजी औद्योगिक पार्क के लिए जमीन की पात्रता सीमा 100 एकड़ से घटा कर 20 एकड़ कर दी गई है जबकि पश्चिमांचल व मध्यांचल में 150 एकड़ से घटा कर 30 एकड़ और लॉजिस्टिक्स पार्कों के लिए पूरे प्रदेश में 50 एकड़ से घटा कर 25 एकड़ कर दिया गया है। प्रदेश में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिया गया है।