वाराणसी में गंगा तट पर पूजा और आरती के साथ ही किसी भी धार्मिक-सामाजिक आयोजन पर कर लगा दिया गया है। इसके साथ ही गंगाघाट पर छतरी लेकर बैठने वाले पुरोहितों को भी अब सालाना पंजीकरण शुल्क देना होगा।
वाराणसी नगर निगम ने गंगा घाटों पर अतिक्रमण करने और गंदगी फैलाने वालों से भारी जुर्माना वसूलने का भी फैसला किया है। गंगा के साथ ही वरुणा के घाट पर कपड़े धोने, साबुन लगाने और कूड़ा फेंकने पर भी जुर्माना लगाया गया है। बनारस में गंगा घाट पर कोई भी सांस्कृतिक आयोजन करने पर शुल्क देना होगा।
हालांकि वाराणसी के संतो ने इस कर का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। पूजा, आरती पर लगाए गए इस कर के विरोध को देखते हुए प्रदेश के धर्मार्थ कार्य एवं पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने कहा कि इसे वापस लिया जाएगा। इस संदर्भ में जल्दी ही आदेश जारी हो जाएंगे।
नए नियमों के मुताबिक अब गंगा किनारे चौकी लगाकर बैठने वाले पुरोहितों व पंडो को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन के लिए दैनिक शुल्क तय कर दिया गया है। नगर निगम ने घाट पर धार्मिक आयोजन कराने वाले ब्राह्मणों, पुरोहितों और चौकी लगाने वालों के रजिस्ट्रेशन पर 100 रुपये प्रति वर्ष का शुल्क निर्धारित किया है, वहीं दूसरी तरफ घाट पर किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा कराये जाने वाले सांस्कृतिक आयोजन के लिए 4,000 रुपये, धार्मिक कार्य के लिए 500 रुपये और सामाजिक कार्य आदि के लिए 200 रुपये प्रतिदिन शुल्क वसूलना तय किया है, जबकि 15 दिन से लेकर एक साल या अधिक समय तक होने वाले आयोजनों के लिए 5,000 रुपये सालाना शुल्क देना होगा।
नगर निगम ने नदी किनारे रखरखाव, संरक्षण एवं नियंत्रण के लिए उपविधि 2020 की घोषणा करते हुए यह शुल्क लगाया है। नगर निगम गंगा और वरुणा किनारे कपड़े धोने, साबुन लगाकर नहाने पर 500 रुपये, कूड़ा कचरा फेंकने पर 2,100 रुपये, घरों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से नदी में जल निकासी पर पहली बार 5,000 रुपये व दूसरी बार 20,000 रुपये जुर्माना वसूलेगा।