उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में भूमिगत जल स्तर के नीचे चले जाने से जमीन धंसने की घटनाओं के बाद बिजनेंस स्टैंडर्ड ने दिल्ली के हालातों का जायजा लिया,तो यह बात खुल कर सामने आई कि कुछ सालों बाद दिल्ली में पानी की कमी त्राहि-त्राहि मचा देगी।
दिल्ली में पिछले चालीस सालों के दौरान भूमिगत जल का स्तर कई इलाकों में 45 से 60 मीटर तक नीचे चला गया है। यहीं नहीं अभी भी इन इलाकों में भूमिगत जल स्तर प्रतिवर्ष 4 से 5 मीटर की दर से नीचे जा रहा है। अगर आने वाले दिनों में जल स्तर इसी तरह नीचे जाता रहा तो दिल्ली के कुछ इलाकें हरियाली से वीरान होने के साथ ही पानी के लिए भी दूसरे इलाकों पर आश्रित हो जायेंगे।
पानी की किल्लत से प्रभावित होने वाले इलाकों में मुख्य तौर पर महरौली, वंसतकुंज, नजफगढ़, द्वारका और नई दिल्ली है। इन इलाकों में भूमिगत जल का स्तर नीचे चले जाने का कारण आवश्यकता से ज्यादा दोहन माना जा रहा है। केन्द्रीय भू-विज्ञान संस्थान के पदाधिकारियों का मानना है कि दक्षिणी दिल्ली में भूमिगत जल स्तर सबसे कम है इसका कारण यहां कि भू-वैज्ञानिक संरचना भी है। दक्षिणी दिल्ली अरावली पहाड़ियों का उत्तर- पूर्वी हिस्सा है। इसलिए कठोर चट्टानों से निर्मित होने के कारण यहां से भूमिगत जल निकालना कठिन होता है।
इसके बावजूद पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोग इन इलाकों में भारी संख्या में बोरिंग और पानी की मोटरों के द्वारा भूमिगत जल को प्रयोग कर रहें है। विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र (सीएसई)के पदाधिकारियों का मानना है कि वैसे तो दिल्ली में पानी की समस्त मांग के 86 फीसदी की आपूर्ति यमुना द्वारा ही की जाती है। लेकिन इसके बावजूद लगातार जनसंख्या बढ़ने और औद्योगिक विस्तार होने के साथ ही मांग में भी बढ़ोतरी होती जा रही है।
जानकारों का मानना है कि सरकार ने भले ही जल संसाधनों की रक्षा और इनके सतत उपभोग को बनाए रखने के लिए जल संसाधन बोर्ड गठित कर दिया हो। लेकिन गिरता भूमिगत जल स्तर और पानी की बढ़ती मांग तेल के बाद सामने आने वाली सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक होगी। सीएसई में वर्षा जल संचय विभाग में सहायक समन्वयक सलाहुद्द्ीन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि असली समस्या तो यह है कि दिल्ली में जितना पानी प्रयोग में लाया जा रहा है, उसकी भरपाई कैसे हो।
दिल्ली में पानी की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है। अभी दिल्ली में रोजाना लगभग 3.5 अरब लीटर पानी की आवश्यकता होती है। जबकि आपूर्ति केवल 2.3 अरब लीटर की ही हो पाती है। इसलिए निश्चित तौर पर यह एक ऐसी समस्या है जिस पर सरकार को जल्द से जल्द कदम उठाना चाहिए, नहीं तो पानी की होने वाली किल्लत औद्योगिक विकास के साथ ही मानवीय आवश्यकताओं के लिए भी भारी पड़ेगी।
भूजल में गिरावट (मीटर में)
स्थान 1960 2002
महरौली 10 से 20 45 से 50
वसंतकुंज 8 से 17 35 से 45
पश्चिमी दिल्ली 2 से 5 15 से 20
कनॉट प्लेस 5 से 10 20 से 30
नजफगढ़, द्वारका 2 से 5 10 से 20
शाहदरा 0 से 2 5 से 10
स्रोत: विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई)