facebookmetapixel
Editorial: वोडाफोन आइडिया के एजीआर संकट पर समाधान की उम्मीद, समान नीति की मांग तेजबजट 2026 में राजकोषीय अनुशासन और विकास के बीच संतुलन जरूरीतकनीकी दिग्गजों ने भारतीय यूजर्स से कमाए अरबों डॉलर, इसे देश में ही रोकने की जरूरतबांग्लादेश में विशेष न्यायाधिकरण ने शेख हसीना को दी मौत की सजा, हिंसक दमन का ‘प्रमुख सूत्रधार’ बतायाबिहार: नीतीश के हाथ में ही रहेगी कमान, जदयू-भाजपा गठबंधन में मंत्री पदों का बंटवारा तयआईटी शेयरों पर फंड मैनेजरों की दो राय, गिरावट के बाद अब रिकवरी की बढ़ीं उम्मीदेंBihar Election Analysis: बिहार में दोबारा जीत का ट्रेंड मजबूत, BJP-JDU की सीटों पर वोट प्रतिशत भी बढ़ाअगले 3 से 5 साल में निवेशकों की संख्या हो सकती है दोगुनी, SEBI चेयरमैन ने जताई उम्मीदIPO लंबी अवधि की पूंजी नहीं जुटा रहे, सिर्फ शुरुआती निवेशकों का एग्जिट बन रहे: CEA नागेश्वरनव्यापार घाटे की खाई हुई और चौड़ी: अक्टूबर में निर्यात 11.8% घटा, ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 41.68 अरब डॉलर पर

वाहन: कीमत वृद्धि से घटेगी रफ्तार

Last Updated- December 14, 2022 | 6:36 PM IST

जिंस की ऊंची कीमतों का भार ग्राहकों पर डालने की भारतीय वाहन निर्माताओं की योजना से मांग में सुधार का परिदृश्य कमजोर होगा। कीमतोंं में बढ़ोतरी अगले महीने होनी है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हो रही है जब कुछ श्रेणियों की मांग में सुधार और त्योहारी खर्च की उम्मीद धुमिल हो गई और कोरोनावायरस महामारी से पडऩे वाले आर्थिक असर इसकी गवाही देते हैं। फिच रेटिंग्स का ऐसा मानना है।

लॉकडाउन में धीरे-धीरे ढील से मांग थोड़ी सुधरी, जिससे भारतीय यात्री वाहनों की मासिक थोक बिक्री जुलाई 2020 के बाद बढ़त की राह पर लौट आई। यात्री वाहनों की थोक बिक्री सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 13 फीसदी बढ़ी। वाहन निर्माताओं के संगठन सायम के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

त्योहारी मांग ने सितंबर के बाद बढ़त को टिकाए रखने में मदद की  लेकिन नवंबर 2020 में इस बढ़त की रफ्तार सालाना आधार पर घटकर 5 फीसदी रह गई, जो अक्टूबर में 14 फीसदी रही थी। साल 2020 में दीवाली नवंबर में होने के बावजूद ऐसा हुआ जबकि साल 2019 में दीवाली अक्टूबर में थी। रेटिंग एजेंसी ने कहा, इससे संकेत मिलता है कि मंग कम हो रही है।

वाहन क्षेत्र की अन्य श्रेणियोंं में मांग कमजोर बनी रही। भारतीय वाणिज्यिक वाहनों की थोक बिक्री सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 20 फीसदी घटी। इससे पहले जून तिमाही में 85 फीसदी की भारी-भरकम गिरावट आई थी, जो अत्यधिक फ्रेट कैपेसिटी और वित्त की कमजोर उपलब्धता जैसे कारकों से मिलने वाली चुनौतियों को प्रतिबिंबित करती है।

इसके अलावा मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों की मांग पर भी असर पड़ा। अशोक लीलैंड, टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा समेत अग्रणी विनिर्माताओं के वाणिज्यिक वाहनों की थोक बिक्री अक्टूबर व नवंबर में सामान्य स्थिति की ओर बढ़ी। लेकिन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि पंजीकरण में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई।

First Published - December 17, 2020 | 11:17 PM IST

संबंधित पोस्ट