प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्मोड़ा में अपनी आखिरी रैली में उत्तराखंड के मतदाताओं से कहा था कि वे विकास प्रक्रिया के निर्बाध विकास के लिए डबल इंजन की सरकार को फिर से वोट दें। यह अपील कारगर रही और विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में एकतरफा हो गए। इस पहाड़ी राज्य के नतीजे पश्चिम बंगाल की तरह ही थे जहां ममता बनर्जी खुद चुनाव हार गई थीं लेकिन उनकी पार्टी ने पिछले साल एक बड़ी जीत हासिल की थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मुंह की खानी पड़ी लेकिन सत्तारूढ़ दल भाजपा ने धमाकेदार वापसी की और इस तरह लगातार सत्ता में बने रहने वाली पहली पार्टी भी बन गई। हैरानी की बात यह थी कि चुनाव के नतीजे, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे सभी सत्ता विरोधी रुझानों के असर से उलट थे। चार महीने से भी कम समय में तीन मुख्यमंत्रियों को लाने के लिए भाजपा के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का मशहूर नारा ‘तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा’ भी असरदार नहीं रहा। यह तीसरी बार था जब किसी मौजूदा मुख्यमंत्री (इस बार धामी) को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 2012 में भाजपा के भुवन चंद्र खंडूड़ी कोटद्वार से हार गए थे और 2017 में कांग्रेस महासचिव हरीश रावत को दो सीटों, हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से हार का सामना करना पड़ा।