उत्तराखंड सरकार द्वारा अमेरिकी कंपनी रेदॉन के साथ सुपर किंग एयर बी-200 विमान खरीदने के सौदे पर सवाल उठाए जाने लगे हैं।
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने इस हवाई जहाज को खरीदने के लिए उत्तराखंड के नागरिक उड्डयन विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस सौदे को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हरी झंडी दी थी। यह सौदा 20.99 करोड़ रुपये में तय हुआ था जबकि रखरखाव के लिए अलग से 20.99 लाख रुपये दिए जाने थे। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विभाग ने सौदे के लिए कोई भी वैश्विक निविदा जारी नहीं की और न ही यह देखा कि जौलीग्रांट हवाईअड्डा इसके इस्तेमाल के लिए उपयुक्त है या नहीं। जैली ग्रांट हवाईअड्डा पिछले एक साल से एयर ट्रैफिक के लिए बंद है और इसको अपग्रेड किया जा रहा है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि किसी तकनीकी समिति के गठन से पहले ही इस हवाई जहाज की खरीद को अंतिम रूप दे दिया गया। वैश्विक निविदा के विकल्प पर भी विचार नहीं किया गया। इसके लिए 12 दिसंबर, 2006 को धन जारी किया गया और जॉलीग्रांट हवाईअड्डे के सही न होने के कारण इसे एक साल तक दिल्ली में खड़ा रखा गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अतिविशिष्ट लोगों की यात्रा के लिए हैलाकॉप्टर और पुराने जहाज उपलब्ध थे। ऐसे में ढांचागत सुविधाओं के अभाव में यदि किसी निजी जहाज को पट्टे पर ले लिया जाता तो वह अधिक फायदेमंद था। यह जहाज न केवल महंगा है बल्कि इसके रखरखाव पर मोटी रकम भी खर्च होती है।