उत्तर प्रदेश में उद्योग जगत नवजागरण के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ जहां कुछ उद्योग राज्य में अपने काम को कम कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ राज्य में कई अन्य उद्योग नए उद्यमों के साथ प्रवेश करने की इच्छा जता रहे हैं।
राज्य की अर्थव्यवस्था में विकास के लिए खुदरा बाजार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में न बड़ी-बड़ी खुदरा शृंखलाओं ने राज्य में कारोबार शुरू किया है, लेिकिन वहीं रिलायंस फ्रेश जैसे बड़े नाम को राज्य से बाहर भी होना पड़ा है। उत्तर प्रदेश में बिग बाजार, पेंटालून, सुभिक्षा, स्पेन्सर्स जैसे कई नाम इस राज्य में अपनी जगह बना रहे हैं।
बढ़ती हुई मॉल संस्कृति ने उत्तर प्रदेश में खुदरा कारोबार के साथ ही उद्योग जगत को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अगले पांच वर्षों पर नजर डाली जाए तो अकेले लखनऊ में ही 15 मॉल होंगे, जिनमें से पांच मॉल तो अभी शहर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।कारोबार का नया मंत्र, रियल एस्टेट उद्योग के लिए भी कारगर साबित हुआ और यही वजह है कि आज राज्य में जमीनों की कीमत कई गुणा बढ़ गई है।
उत्तर प्रदेश आज कई बड़े रियल एस्टेट घरानों का मनपसंद राज्य बन चुका है। ओमेक्स, पार्श्वनाथ, अंसल्स, एम-टेक और सहारा हाउसिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर तो कई करोड़ रुपयों की परियोजनाओं के साथ राज्य में अपने पांव जमा चुके हैं। इससे मेट्रो शहरों के साथ ही मध्यम दर्जे के शहर भी विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं। कई रियल एस्टेट व्यावसायियों ने उत्तर प्रदेश के इलाहबाद, मेरठ और वाराणसी में करोड़ों रुपयों के नगर बसाने की योजना बनाई है, जिसमें दुनिया की बेहतरीन सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
इन नगरों में मकानों की कीमत 20 लाख रुपये से कुछेक करोड़ रुपये तक होगी। रियल एस्टेट की ही तरह राज्य में दूरसंचार उद्योग की गतिविधियों में भी तेजी आई है। राज्य में सभी मोबाइल ऑपरेटरों की उपभोक्ता संख्या में भी कई गुणा वृध्दि हुई है।
उपभोक्ताओं की अधिक संख्या के मामले में राज्य में वोडाफोन का बाजार में सबसे बड़ा हिस्सा है, इसके बाद भारती एयरटेल, आइडिया, रिलायंस और टाटा इंडिकॉम का आते हैं, जबकि दूरसंचार बाजार में बीएसएनएल अग्रणी है। अब सभी बड़े दूरसंचार ऑपरेटर राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इस अनुकूल वृध्दि के बावजूद राज्य में ग्रामीण अवसरों का फायदा उठाना अभी भी बाकी है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. अरविंद मोहन (अर्थशास्त्री) मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में हाट के रूप में प्रसिध्द ग्रामीण बाजार लगभग 5500 करोड़ रुपये का है। डॉ. अरविंद मोहन कहते हैं, ‘यह विशाल बाजार है, जिसे भूनाना अभी बाकी है।’ उनके अनसाुर इन बाजारों को आसानी से केन्द्रित कर उन पर कब्जा किया जा सकता है। ये बाजार अभी भी कोरे हैं और इनमें एक बड़े बाजार को जन्म देने की क्षमता है।
डॉ. अरविंद मोहन का कहना है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण बाजारों में इतनी ताकत है कि वे राज्य की रूप-रेखा बदल कर रख दें। इनमें उद्यम विकास के लिए बहुत स्थान है और यहां धीरे-धीरे विशेषतौर पर ग्रामीण परिपेक्ष को ध्यान में रखते हुए उद्योग जगत की गतिविधियों को बढ़ाने की बहुत संभावनाएं मौजूद हैं।उत्तर प्रदेश में छोटे और मझोले उद्यम (एसएमई) और अतिलघु, छोटे और मझोले उद्यम (एमएसएमई) तेजी से विकास कर रहे हैं।
अनुमान है कि राज्य में 20 लाख के करीब अतिलघु, छोटे और मझोले उद्यम हैं, जो 80 लाख परिवारों और लगभग 5 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया करवाते हैं।भारतीय उद्योग संघ (आईआईए) के कार्यकारी निदेशक डीएस वर्मा का कहना है, ‘छोटे और मंझोले उद्यम राज्य के सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास में रीढ़ की भूमिका निभा रहे हैं। कृषि के बाद यही क्षेत्र राज्य में सबसे अधिक रोजगार मुहैया करवा रहा है।’
राज्य में पर्यटन एक अन्य उद्योग है जो ऐतिहासिक तरीके से विकास कर रहा है। पर्यटन विभाग ने एक पर्यटन विकास नीति का निर्माण किया है, जिसके अंतर्गत पर्यटन सर्किट्स का विकास किया जा रहा है। राज्य की संस्कृति के साथ ही आर्थिक स्थिति में भी इन पर्यटन सर्किट्स का बड़ा योगदान है। बौध्द सर्किट, बुंदेलखंड सर्किट, वाटर क्रूज सर्किट, जैन मठ सर्किट और ईको-टूरिज्म सर्किट, ये कुद नाम हैं, जिन पर काम चल रहा है।
इसी के साथ उत्तर प्रदेश सरकार निजी उद्यमों से हाथ भी मिला रही है। सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) का स्वागत उद्योग और उद्योग चैम्बर दोनों ही खुले दिल से कर रहे हैँ।उद्योग विश्लेषकों के अनुसार इससे न सिर्फ परियोजनाएं समय पर समाप्त होंगी, बल्कि इससे सरकारी खजाने पर बोझ से भी मुक्ति मिलेगी।इसमें हाल ही में गंगा एक्सप्रेस परियोजना शामिल हुई है।
40 करोड़ रुपये की इस परियोजना से उम्मीद है कि राज्य, खासतौर पर केन्द्रीय और पूर्वी उत्तर प्रदेश में नए अवसर भी पैदा होंगे। इस परियोजना का टेंडर जनवरी में जेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटैड को दिया गया था। 8 लेन का यह एक्सप्रेस वे नोएडा को बलिया से जोड़ देगा।4 अन्य महत्त्वपूर्ण एक्सप्रेसवे, गाजियाबाद को सहारनपुर-मोहंड, झांसी को कानपुर-लखनऊ-गोरखपुर-कुशीनगर, आगरा को कानपुर और बिजनौर को मुरादाबाद-फतहगढ़ से जोड़ने की परियोजनाओं की घोषणा पिछले महीने राज्य बजट में की गई है।
सरकार की तरफ से भी उद्योग जगत की मरम्मत के लिए आने वाले वित्तीय वर्ष में बजट में बहुत-सी घोषणाएं की गई हैं। इसी के चलते उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण उद्योग रोजगार जनक योजना के तहत 2200 इकाईयों की स्थापना के साथ 39600 लोगों को रोजगार मुहैया करवाने का लक्ष्य रखा है।इस बजट में राज्यभर में सड़क और पुल के निर्माण, मरम्मत आदि कार्यों के लिए 6347 करोड़ रुपये की राशि तय की है। राज्य में बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास के लिए विशेष योजनाएं और घोषणाएं भी की गई हैं।