कोरोनाकाल में टूट चुके उत्तर प्रदेश के पावरलूम बुनकर दशकों बाद मुर्री बंद हड़ताल पर हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र और बुनकरी के लिए दुनिया भर में मशहूर वाराणसी में हजारों पावरलूमों पर धागा नहीं चढ़ा और बुनकरों ने कामकाज ठप रखा। उत्तर प्रदेश में पावरलूम बुनकर बिजली बिल में बढ़ोतरी को लेकर विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है कि बिजली दरों का नया सिस्टम उन्हें धंधे से बाहर कर देगा और प्रदेश में गुजरात के सूरत और महाराष्ट्र के भिवंडी के कपड़ों का राज होगा।
प्रदेश में कपड़ा उद्योग में 80 फीसदी पावरलूम तो 20 फीसदी पर हथकरघे का कब्जा है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में इस समय 2.72 लाख पावरलूम हैं। वाराणसी, मऊ, मुबारकपुर, मोहम्मदाबाद, सीतापुर के खैराबाद, बाराबंकी, झांसी के मउरानीपुर और टांडा में हजारों की तादाद में पावरलूम हैं जिनसे 20 लाख बुनकर जुड़े हैं। प्रदेश सरकार पहले पावरलूम बुनकरों से बिजली के लिए फिक्स चार्ज लेती थी, जिसे अब प्रति यूनिट उपभोग के हिसाब से लिया जाने लगा है। उत्तर प्रदेश में 2006 से प्रति पावरलूम 72 रुपये बिजली का चार्ज लिया जा रहा है जबकि नई दरों के मुताबिक यह बिल अब 1400-1500 रुपये होगा। पावरलूम बुनकर बिजली के बिल की पुरानी व्यवस्था की बहाली को लेकर बीते कई महीनों से आंदोलनरत हैं।
वाराणसी में बुनकरों के इलाके पीली कोठी में सरदार हाजी मकबूल हसन ने एलान किया किया पुरानी व्यवस्था की बहाली तक पावरलूम की मुर्री बंद हड़ताल रहेगी। उत्तर प्रदेश बुनकर सभा के प्रदेश अध्यक्ष इफ्तेखार अहमद अंसारी का कहना है कि बुनकर बढ़े हुए बिजली का बिल चुका पाने में अक्षम हैं लिहाजा अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने के सिवा उनके पास कोई चारा नहीं बचा है।
वाराणसी में सिल्क निर्माताओं व कारोबारियों की प्रमुख संस्था काशी वस्त्र उद्योग संघ से जुड़े रजत मोहन पाठक बताते हैं बिजली का बिल बढऩे के बाद सबसे बड़ी परेशानी उत्तर प्रदेश के बुनकरों के लिए बाजार में टिके रह पाने की है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मंगलवार को वाराणसी पहुंच कर बुनकर बुनकरों को अपना समर्थन दिया।
