केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका की नई ट्रंप सरकार के साथ भारत बातचीत करने के लिए तैयार है। मंत्री ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बारे में कहा कि वह ‘भारत के मित्र’ हैं और समय के साथ-साथ भारत के अमेरिका से संबंध बेहतर हो रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री की यह टिप्पणी इन आशंकाओं के बीच आई है कि अमेरिका की नई सरकार भारतीय उत्पादों पर कुछ शुल्क लगा सकती है। इस पर गोयल ने कहा कि हमें राय बनाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत के अमेरिका के साथ संबंध बीते 10 वर्षों में समय गुजरने के साथ बेहतर ही हुए हैं। इन अवधि में बराक ओबामा, डॉनल्ड ट्रंप और जो बाइडन सभी के शासन में संबंध बेहतर होते गए हैं।
गोयल ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें किसी नतीजे पर पहुंचने की जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है। नई सरकार को पद ग्रहण करने दें और इस सरकार को अपना औपचारिक व आधिकारिक रवैया स्पष्ट करने दें। मेरे ट्रंप प्रशासन के साथ अनुभव और स्थितियों को समझने की सर्वश्रेष्ठ स्थिति के अनुसार मुझे तो कोई समस्या नहीं दिखती है।’ट्रंप ने अक्टूबर में भारत को ‘सबसे बड़ा शुल्क’ लगाने वाला करार दिया था और उन्होंने जवाबी शुल्क लगाने की धमकी दी थी। ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान विदेश से आने वाली सभी वस्तुओं पर 10-20 फीसदी शुल्क लगाने की धमकी दी थी। इस क्रम में चीनी उत्पादों पर 60 फीसदी का जबरदस्त शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया गया था। अमेरिका के एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार भारत को शुल्क लगाए जाने की आशंका थी और इससे व्यापार संतुलन में बदलाव का डर है। दरअसल, वित्त वर्ष 24 में अमेरिका के साथ व्यापार में भारत का अधिशेष 35.3 अरब डॉलर था। ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद तत्काल सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वह मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे। इसके अलावा चीन के आयात पर 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। यह शुल्क चीन सरकार द्वारा सिंथेटिक ओपिओइड फेंटेनल जैसी नशीली दवा की कथित तस्करी पर रोक नहीं लगाए जाने तक जारी रहेगा। इस पोस्ट में भारत का उल्लेख नहीं था।
शुल्क की समस्या
डॉनल्ड ट्रंप ने अक्टूबर में चुनाव प्रचार के दौरान भारत को ‘सबसे बड़ा शुल्क’ लगाने वाला करार दिया था और उन्होंने जवाबी शुल्क लगाने की धमकी दी थी
ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद सोशल मीडिया पोस्ट में कनाडा, मेक्सिको और चीन पर शुल्क लगाने की धमकी दी थी लेकिन इसमें भारत का नाम नहीं था
निर्यात और विनिर्माण
केंद्रीय मंत्री गोयल को मौजूदा वित्त वर्ष 25 में एक के बाद एक युद्ध और लाल सागर संकट के बावजूद भारत का वस्तु एवं सेवा निर्यात 800 अरब डॉलर के पार जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार निर्यातकों के लिए किसी भी मददगार नीति के लिए तैयार है बशर्ते वह वैश्विक नीति के अनुरूप हो। मंत्री ने भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने के संबंध बताया कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) से 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ है। हालांकि कुछ योजनाओं के लाभार्थी प्रोत्साहन का दावा लेने में अधिक समय ले रहे हैं लेकिन यह योजना सही दिशा में जारी है। चुनिंदा योजना जैसे सौर पीवी मॉड्यूल, बैटरी, टेक्निकल टेक्सटाइल परियोजनाओं को पूरा करने की अवधि अधिक होती है। इसका परिणाम यह है कि प्रोत्साहन भुगतान की गति से योजना की सफलता का आकलन नहीं किया जा सकता है।
चीने के प्रति व्यवहार में बदलाव नहीं : अधिकारी
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि भारत-चीन के बीच राजनयिक संबंध सुधरने और सीमा से सैनिकों को वापस बुलाए जाने के बावजूद केंद्र सरकार चीन से विदेशी निवेश के नियमों में ढील देने को तैयार नहीं है। अधिकार ने कहा, ‘चीन
के प्रति रवैये में कोई बदलाव नहीं है। इसका कारण यह है कि उनकी अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता नहीं है, वह (चीन) अपारदर्शी अर्थव्यवस्था है। वे देश में सामान की डंपिंग कर रहे हैं।’