दिल्ली सरकार ने सर्दियों में होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली है जिसमें कूड़ा जलाने और निर्माण स्थलों पर धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने की सख्त निगरानी कर उल्लंघन करने वालों पर सख्ती शामिल है। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों की सरकारों से पराली जलने से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार की तरह डी-कंपोजर घोल का छिड़काव करने की अपील की है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज प्रदूषण नियंत्रण के लिए शीतकालीन कार्य योजना की घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली में इस समय प्रदूषण काफी नियंत्रण में है। लेकिन कुछ दिनों बाद पड़ोसी राज्यों में पराली जलने के साथ ही प्रदूषण बढ़ने लगेगा। दिल्ली सरकार द्वारा सर्दियों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए 10 बिंदुओं वाली कार्य योजना में कूड़ा जलाने और निर्माण स्थलों पर धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने पर खास जोर दिया गया है। केजरीवाल ने कहा कि एन्टी डस्ट कैंपेन को मजबूत करने के लिए पूरी दिल्ली में 75 टीमों का गठन किया गया है। ये टीमें निर्माण स्थल पर जाकर मुआयना करेंगी और अगर उल्लंघन पाया गया तो जुर्माना करेगी। कूड़ा जलने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए 250 टीम का गठन किया गया है। दिल्ली में पटाखों के ऊपर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। ग्रीन वॉर रूम को और मजबूत करने के लिए 50 नए पर्यावरण इंजीनियर की भर्ती की गई है। दिल्ली में देश का पहला स्मॉग टावर लगाया गया है। इसके शुरुआती नतीजे अच्छे आ रहे हैं। अगर यह सफल रहा तो दिल्ली के और इलाकों में भी ये टावर लगाए जाएंगे। हॉटस्पॉट्स यानी जहां ज्यादा प्रदूषण होता है वहां पर विशेष टीमों के माध्यम से सख्त निगरानी रखी जा रही है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 64 ऐसी सड़कों को चिह्न्त किया गया है, जहां पर ज्यादा जाम लगने के कारण प्रदूषण होता है। यहां पर जाम को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। पीयूसी की कड़ाई से जांच करने के लिए 500 टीम का गठन किया गया है।
केंद्र और पड़ोसी राज्य सरकारों से अपील
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि किसान पराली जलाने को मजबूर हैं। सरकारों को उन्हें पराली न जलाने का विकल्प देकर रोकना है। जिस तरह दिल्ली सरकार बायो डी-कंपोजर घोल तैयार कर दिल्ली में इसका मुफ्त छिड़काव करवा रही है। ऐसा ही पड़ोसी राज्यों को भी करना चाहिए। इसके साथ की एनसीआर से दिल्ली आने वाले वाहनों को सीएनजी और एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन पर चल रहे सभी उद्योगों को पीएनजी में बदला जाए। पड़ोसी राज्यों में जो थर्मल बिजली संयंत्र चल रहे हैं जिसका धुआं और कण वायु में आने से प्रदूषण फैलता है। उनको या तो बंद किया जाए या फिर नहीं तकनीक का इस्तेमाल करके परिवर्तित किया जाए। एनसीआर में चल रहे ईट भट्टों को भी किसी दूसरी तकनीक पर डाला जाए ताकि वह प्रदूषण ना कर सकें। एनसीआर के इलाकों में बिजली की 24 घंटे आपूर्ति की जाए ताकि लोग डीजल जनरेटर ना चलाएं। दिल्ली की तरह पड़ोसी राज्य अपने यहां हॉटस्पॉट चिह्नित करके उनकी निगरानी कर प्रदूषण नियंत्रण के कदम उठाएं।
