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गांवों को अभी भी है रोशनी का इंतजार

Last Updated- December 05, 2022 | 4:37 PM IST


क्या भारत का सच में उदय हो रहा है? यह सवाल राजस्थान के उस गांव को देखकर उठता है, जो आज भी बुनियादी सुविधाओं के सपने देख रहा है। लाडो नाम का यह गांव जयपुर से 260 किलोमीटर दूर बूंदी जिलें में स्थित है।


 


सात सौ लोगों की आबादी वाले इस गांव में लोग आज भी बिजली,पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहें है। गांव को शहर से जोड़ने के लिए यहां कोई सडक़ नहीं है। बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल नहीं है। लोग आज भी पानी के लिए हैंडपंप पर आश्रित है।


 


 यही नहीं स्वतन्त्रता के बाद के साठ सालों से इस गांव में बिजली का एक बल्ब भी नहीं जला है। इस गांव के निवासी हीरालाल का कहना है कि इस बारे में हमने सरकार से कई बार विनती कि हमारे गांव में बुनियादी सुविधाओं को जल्द से जल्द पहुंचाया जाए, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।


 


मुझे तो लगता है कि भविष्य में भी यहां कुछ नहीं होने वाला है। अभी तक हैडपंप से पानी निकाल कर गुजारा चल रहा हैं। लेकिन ज्यादा दिनों तक यह भी संभव नहीं है क्योंकि जल स्तर निरतंर गिरता जा रहा है। अगर यहां के हालात जल्द नहीं सुधरते है तो हमें यहां से कहीं और जाना होगा।


 


यह कहानी सिर्फ लाडो गांव की ही नहीं है बल्कि टोंक जिले के थिगरिया गांव का भी यही हाल है। प्रशासन का कहना है कि बूंदी के 15-20 गांवो और टोंक जिले के 20-25 गांवों में ही बिजली की व्यवस्था नहीं है।

अधिकारियों का कहना है कि इन गांवों में भी जल्द ही राजीव गांधी विद्युत परियोजना के तहत बिजली पहुंचाई जाएगी। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि क्या इन गांवों में बिजली पहुचानें का दिलासा देकर यहां के लोगो की अन्य बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है?

First Published - March 17, 2008 | 11:23 PM IST

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