बैंकरों और विशेषज्ञों के मुताबिक बैंकिग कानूनों में संशोधन के चलते संस्थानों के प्रशासन में सुधार, ग्राहकों की सहूलियत बढ़ने के साथ ही मुकदमों की तादाद कम होने की उम्मीद है। उनका कहना है कि बैंकिंग कानून में संशोधन के मुताबिक किसी एक खाते में चार नामित व्यक्तियों को शामिल करने की अनुमति होगी जिसके चलते बैंक जमाओं के उत्तराधिकार को लेकर भी स्पष्टता बनेगी।
लोक सभा ने मंगलवार को बैंकिंग कानूनों में संशोधन पारित किया। इस विधेयक में पांच मौजूदा कानून में 19 संशोधनों के प्रस्ताव दिए गए जिनका मकसद बैंकिंग सेवाएं देने वाले बहु-राज्य सहकारी संस्थानों सहित बैंकों में नियमों के पालन को आसान बनाने के साथ ही, नियमन में सुधार और बैंकों की ऑडिट क्षमता बढ़ाना है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे ने कहा कि ये संशोधन बैंकों के कामकाज के स्तर को बेहतर बनाने के साथ ही ग्राहक सेवाओं में भी बेहतर बदलाव लाएंगे। मराठे की बात की तस्दीक करते हुए केयर रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा कि बैंकिंग कानून में हुए हाल के संशोधन यह दर्शाते हैं कि सरकार बैंकिंग क्षेत्र के भीतर विभिन्न प्रक्रियाओं को दुरुस्त करने की कोशिश में हैं ताकि कामकाज की दक्षता बढ़ सके।
दो सरकारी बैंकों के अधिकारियों ने बताया कि प्रावधान में बदलाव के चलते अब खाताधारकों के पास यह विकल्प होगा कि वे अपनी जमाओं की हिस्सेदारी एक के बाद एक या फिर एक साथ ही चार व्यक्तियों के लिए नामित करने का प्रस्ताव देंगे। इससे बैंक जमाओं के उत्तराधिकार को लेकर सहजता और स्पष्टता बनेगी।
भारतीय बैंक संघ के वरिष्ठ सलाहकार (कानूनी) राजीव देवल के अनुसार, बैंक ग्राहकों को अब मृतकों से जुड़े दावों के निपटान में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इन बदलावों के लिए सुरक्षित कस्टडी/लॉकर प्रबंधन प्रणालियों में भी संशोधन करने की जरूरत होगी। इसमें बैंकिंग विनियमन अधिनियम के तहत नामित करने के नियमों में संशोधन करने के साथ ही एक के बाद एक नामांकन के लिए नए प्रारूपों की शुरुआत की जाएगी।
एक निजी बैंक में सीईओ के तौर पर काम कर चुके मराठे ने बैंक खातों में नामित व्यक्तियों से जुड़े विवाद का हवाला देते हुए कहा कि इससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी क्योंकि ज्यादा लोगों के पास सूचना होगी और इससे परिवारों में मुकदमे कम होंगे।
संसद के निचले सदन ने सांविधिक ऑडिटरों के पारिश्रमिक भुगतान तय करने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने की मांग वाले संशोधन को भी मंजूरी दे दी। देवल ने कहा कि यह सरकारी बैंकों के लिए फायदेमंद होगा कि वे उचित पारिश्रमिक पर उपयुक्त ऑडिटर की सेवाएं लें। कॉरपोरेट जगत को अपने ऑडिटर का पारिश्रमिक तय करने की इजाजत है और बैंक भी कॉरपोरेट इकाई ही हैं ऐसे में उनके साथ कोई अलग तरीका नहीं अपनाया जाना चाहिए। इस संशोधन के चलते अब भारतीय रिजर्व बैंक के बजाय अब बैंक ही अपने ऑडिटरों के पारिश्रमिक का निर्धारण कर सकेंगे। केयर रेटिंग्स के अग्रवाल कहते हैं कि इस बदलाव से बैंकिंग क्षेत्र में ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार होगा।
बॉक्स-
– अब खाताधारकों के पास विकल्प होगा कि वे अपनी जमाओं की हिस्सेदारी एक के बाद एक या फिर एक साथ ही चार व्यक्तियों के लिए नामित करने का प्रस्ताव दे सकेंगे
– ग्राहकों को अब मृतकों से जुड़े दावों के निपटान में भी आसानी होगी
– पांच मौजूदा कानून में 19 संशोधनों के प्रस्ताव दिए गए हैं
– विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकिंग कानून में संशोधनों से सुशासन की स्थिति में सुधार होने के साथ ही ग्राहक सेवाएं भी बेहतर होंगी