मंडी में लोहा ठंडा हो चला है। रियल एस्टेट की भट्ठी पर पानी पड़ने के कारण पहले से ही त्रस्त सरिया कारोबारी अब कीमत कम होने का दंश झेल रहे हैं।
जिन कारोबारियों ने तेजी के दौरान सरिया का स्टॉक कर लिया था उनकी तो कमर ही टूट चुकी है। उन्हें न तो उसे बेचते बन रहा है और न ही रखते। फिलहाल सरिया की कीमत में किसी प्रकार की तेजी की भी संभावना नजर नहीं आ रही है। लोहे के व्यापारियों के कारोबार में 60 फीसदी तक की गिरावट हो चुकी है।
सरिया कारोबारियों के मुताबिक गत जुलाई माह के दौरान निर्माण क्षेत्र की लागत में बढ़ोतरी के कारण लोहे कारोबारियों का काम आधा हो चला था। तब अधिकतर ठेकेदारों ने हाथ खड़े कर दिए थे।
एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में हर महीने 2.5-3 लाख टन लोहे की खपत होती है। अगस्त महीने तक इसकी खपत आधी हो चुकी थी और अब इसकी खपत मात्र 30 फीसदी तक रह गयी है।
लोहा व्यापार एसोसिएशन के पदाधिकारी सतीश गर्ग कहते हैं, ‘लोहे का इस्तेमाल मुख्य रूप से निर्माण क्षेत्र में है। शटरिंग प्लेट से लेकर पिलिंथ की पाइप तक, सब कुछ लोहे का होता है।’ जुलाई के दौरान लोहा 45 रुपये प्रति किलोग्राम था और कारोबारियों को उम्मीद थी कि दाम कम होने पर इसकी मांग निकलेगी।
अब सरिया की कीमत 32-35 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी है लेकिन मंदी के कारण दूर-दूर तक मांग नजर नहीं आ रही है। नारायणा इंडस्ट्रीयल एरिया एसोसिएशन के पदाधिकारी एसके नरुला कहते हैं, ‘मांग में कमी के साथ कारोबारी भी इन दिनों बेचना नहीं चाह रहा है। क्योंकि उन्होंने बढ़ी हुई कीमत पर खरीदारी कर स्टॉक किया था।’
नारायणा लोहा मंडी में कारोबार करने वाले पीयूष कोचर कहते हैं, ‘मुख्य समस्या नगदी की है। ठेकेदार या बिल्डर जिन्होंने तीन महीने पहले माल लिया था अब तक भुगतान नहीं कर रहे हैं। हालांकि वे उधार के तौर पर अब भी माल लेने को तैयार है।’ उनके मुताबिक घाटे से उबरने के लिए कोई भी कारोबारी उधार देने को तैयार नहीं है।
दाम में लगातार हो रही गिरावट के कारण लोहे से जुड़े उत्पाद के निर्माताओं की हालत और भी खराब हो चुकी है। उनका उत्पादन 60-70 फीसदी तक कम हो चला है। उद्यमी जेपी बिंदल ने बताया कि गत जुलाई माह में जिस इंगट की कीमत 1250 डॉलर प्रति टन थी वह 350 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गयी है।
1300 डॉलर प्रति टन वाले एचआर कायॉल के दाम 450 डॉलर प्रति टन के आसपास हो गए हैं। उनका कहना है कि दाम में और गिरावट की आशंका के कारण वे कोई भी नया ऑर्डर नहीं ले रहे हैं।
कारोबारियों ने बताया कि लोहे से बनने वाली अलमारी एवं अन्य फुटकर चीज बेचने वाले दुकानदार भी घाटे में आ चुके हैं। अधिक कीमत में खरीदी गयी चीजें उन्हें कम कीमत में बेचनी पड़ रही है।