दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों की शुरूआत में केवल 2 साल बाकी रह गए हैं। ऐसे में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) एक बड़े कायाकल्प की तैयारी कर रहा है।
इसके तहत बसों के आधुनिकीकरण और संख्या बढ़ाने तथा उनके रखरखाव पर 1800 करोड़ रुपये का खर्च किए जाएंगे। इस योजना के लिए दिल्ली सरकार वित्त पोषण करेगी। सरकार की योजना 5000 हाईटेक बसों को दिल्ली की सड़कों पर उतारने की है। ये बसें जियोस्टेशनरी पोजिशिनिंग सिस्टम (जीपीएस) से लैस होंगी।
जीपीएस के जरिए एक कमांड सेंटर से बसों की गतिविधियों पर निगरानी और नियंत्रण किया जा सकता है। इन बसों में से करीब 1200 बसें वातानुकूलित होंगी। डीटीसी के अधिकारियों ने कहा है कि 2010 से पहले डीटीसी के बेड़े में 6,500 बसें होंगी और मौजूदा बसों में से अधिकांश को चलता कर दिया जाएगा। इस समय डीटीसी के बेड़े में कुल 3,500 बसें शामिल हैं।
डीटीसी की विस्तार और आधुनिकीकरण योजना ऐसे समय में आई है जब सरकार निजी क्षेत्र की ब्लूलाइन बसों को क्रमिक ढंग से हटाने की तैयारी कर रही है। कार्ययोजना के तहत इन बसों को 2010 तक हटा दिया जाएगा। इसकी जगह विभिन्न रूटों पर परिवहन के लिए बोली प्रक्रिया के जरिए कंपनियों का चयन किया जाएगा। इस परियोजना में ओरिक्स, आईएलएफएस, एसआरएस टै्रवल्स और कई लॉजिस्टिक कंपनियों से रुचि जताई है।
वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान डीटीसी का वार्षिक परिचालन घाटा 348.30 करोड़ रुपये था। हालांकि निगम को उम्मीद है कि सार्वजनिक निजी साझेदारी के जरिए नए बस क्यू सेल्टर की स्थापना कर घाटे को पाटा जा सकेगा। डीटीसी ने 450 बस शेल्टर के लिए आर्डर दिए हैं। इनमें से 200 शेल्टर बनकर तैयार हो चुके हैं। प्रत्येक शेल्टर से विज्ञापन के जरिए डीटीसी को प्रति माह 1 लाख रुपये की कमाई हो रही है। डीटीसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रमेश नेगी ने बताया कि ‘उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 200 बस शेल्टर से हमें करीब 30 करोड़ रुपये की आमदनी होगी।’
डीटीसी ने 2010 से पहले पीपीपी के जरिए 1400 बस क्यू शेल्टर बनाने की योजना तैयार की है। मौजूदा रुझानों के मद्देनजर विश्लेषकों को उम्मीद है कि डीटीसी घाटे से उबर कर 2010 तक 120 करोड़ रुपये की सालाना कमाई कर सकेगा। बस शेल्टर से आमदनी के अलावा डीटीसी को प्रति बस 4,500 रुपये की आमदनी आईटी सेवा प्रदाता से जीपीएस सुविधा के लिए हो रही है। इस सेवा से 2010 तक सालाना 35 करोड़ रुपये की आमदनी होने का अनुमान है।
आईटी कंपनी को बस पर विज्ञापन के लिए जगह दी जाएगी। वर्ष 2007-08 के दौरान डीटीसी को यात्री किराए से प्रति किलो मीटर 18.56 रुपये मिले थे जबकि खर्च प्रति किलो मीटर 25 रुपये था। डीटीसी बसों के परिचालन और रखरखाव का जिम्मा निजी क्षेत्र को देने की तैयारी कर रही है। इससे उसके परिचालन खर्च में प्रति किलो मीटर 5.46 रुपये की कमी आने का अनुमान है।
खेलों से पहले डीटीसी की बढ़ी रफ्तार
आधुनिकीकरण पर खर्च होंगे 1800 करोड़ रुपये
कमांड सेंटर से हो सकेगी बसों की गतिविधियों की निगरानी और नियंत्रण
2010 तक डीटीसी के बेड़े में शामिल होंगी 6,500 बसें
2010 तक घाटे से उबर कर सालाना आमदनी 35 करोड़ रुपये होने का अनुमान