आम आवाजाही के लिए खोले जाने के 50 दिनों बाद दिन बाद दिल्ली-गुड़गांव एकसप्रेस हाईवे से प्रतिदिन 1.20 लाख गाड़िया गुजर रही हैं।
यह आंकड़ा हाईवे की प्रबंधक कंपनी डी एस कंस्ट्रक्शन के शुरुआती अनुमानों के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है। कंपनी को गाड़ियों की आवाजाही में प्रतिवर्ष 7.5 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है।
दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेसहाईवे की लंबाई 27.7 किलोमीटर है। इसकी अनुमानित लागत 950 करोड़ रुपये है और इसमें तीन टोल-प्लाजा हैं। कपंनी के अधिकारियों के मुताबिक एक्सप्रेसवे पर प्रतिदिन औसतन 1.20 लाख गाड़िया गुजरती है। इनमें से करीब 80 प्रतिशत यात्राी गाड़ियां है और शेष वाणिज्यिक वाहन हैं। इसके अलावा करीब 50,000 स्मार्ट कार्ड के टैग जारी किए गए हैं।
यात्री गाड़ियों के मामले में स्मार्ट कार्ड का इस्तेमाल करने वालों को 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है जबकि हल्के वाहन वाणिज्यिक वाहनों को टोल टैक्स में 34 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। कंपनी के अधिकारियों ने हालांकि मौजूदा रुझानों के आधार पर आय का ब्यौरा देने से इंकार किया है लेकिन अनुमान है कि कंपनी प्रतिवर्ष 150 करोड़ रुपये जुटा सकेगी। इस बीच यदि गाड़ियों की संख्या बढ़ती है यह आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है। इस समय डी एस कंस्ट्रक्शन यात्री गाड़ियों से 16 रुपये और वाणिज्यिक वाहनों से औसतन 114 रुपये ले रही है।
डी एस कंस्ट्रक्शन के निदेशक मनहत नरुला ने बताया कि ‘हम इस समय अपने वित्तीय ब्यौरे का खुलासा नहीं कर सकते हैं। लेकिन परियोजना से हो रही आय हमारी उम्मीद के मुताबिक ही है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि हाईवे की लागत कब तक हासिल हो सकेगी।’ दिल्ली-नोएडा टोल ब्रिज की प्रबंधक कंपनी नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (एनटीबीसीएल) ने टोल ब्रिज का निर्माण 408 करोड़ रुपये की लागत से किया था और टोल संग्रह के तीन साल के भीतर फाइनैंशियल ब्रेक हासिल कर लेगा। हालांकि इस समय एनटीबीसीएल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तैयार कारपोरेट ऋण पुनर्गठन प्रावधान से गुजर रही है।
डी एस कंस्ट्रक्शन के अधिकारी ने आगे बताया कि एनएचएआई के कंसेसन समझौते के मुताबिक यदि यात्री गाड़ियों की संख्या 1.30 लाख से अधिक होती है तो कंपनी को एक निश्चित राशि एनएचएआई को देनी होगी। फीडबैंक वैंचर्स के इंजीनियरिंग और परियोजना प्रबंधन प्रभाग के प्रबंध निदेशक परवेश मिनोचा ने बताया कि ‘शुरुआत में टोल गेट पर काफी भीड़भाड़ देखने को मिली है। ऐसा भारतीय दशाओं में सड़क परिचालन के अनुभव की कमी के कारण हुआ। लेकिन अब स्थितियों में सुधार हो रहा है और अगले कुछ महीनों में स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो जाएगी।’
दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस हाईवे पर उन्होंने बताया कि करीब 42 प्रतिशत या 50,000 से अधिक वाहनों ने स्मार्ट कार्ड बनवा रखा है और व्यस्त समय में टोल ब्रिज पर इंतजार का समय पहले के 40 मिनट से घटकर केवल आठ मिनट रह गया है। मिनोचा ने बताया कि स्मार्ट कार्ड के कारण टै्रफिक की समस्या से निपटने में काफी मदद मिली है। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर टोलिंग प्रौद्योगिकी के मानकीकरण में अभी बहुत सुधार करने की जरूरत है।
इससे पहले जब एक्सप्रेसहाईवे चालू हुआ था, तब यात्रियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था। यात्रियों को लंबे समय तक टोल गेट पर खड़ा रहना पड़ा था, हालांकि इस समय में अब कमी आ रही है। एक्सप्रेसवे पर तीन टोल प्लाजा है। पहला इंदीरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दूसरा दिल्ली-गुड़गांव बार्डर पर और तीसरा टोल प्लाजा 42वें मील के पत्थर पर है। ट्रैफिक सिग्लन से पूरी तरह से मुक्त इस हाईवे पर गति सीमा 80 किलोमीटर प्रति घंटे है। एक्सप्रेस हाईवे के बनने के बाद दिल्ली से गुड़गांव की दूरी 20 मिनट में तय की जा सकती है जबकि पहले इसमें 1 घंटे से अधिक का समय लगता था।