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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम

Last Updated- December 11, 2022 | 5:32 PM IST

दिल्ली—एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उद्योग के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की नई नीति में औद्योगिक प्रदूषण को थामने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं। जिनमें एनसीआर के औद्योगिक क्षेत्रों में पीएनजी, साफ ईंधन या बायोमास जैसे स्वच्छ औद्योगिक ईंधन इस्तेमाल न करने वाली औद्योगिक इकाइयों को सप्ताह में 5 ही दिन चलाने, पूरे एनसीआर में उद्योगों में पीएनजी के इस्तेमाल को अनिवार्य करने, डीजल जनरेटर को हतोत्साहित करने, उद्योगों में कोयले के इस्तेमाल पर पूर्ण पाबंदी आदि शामिल हैं।
बुधवार को जारी आयोग की नीति में कहा गया है कि एनसीआर के जिन क्षेत्रों में पीएनजी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और इसकी आपूर्ति उपलब्ध है, वहां इस साल 30 सितंबर तक उदयोगों में औद्योगिक ईंधन को पूर्ण रूप से पीएनजी या बायोमास ईंधन में बदला जाए। जहां पीएनजी उपलब्ध नहीं है, उन क्षेत्रों में उदयोगों में ईंधन के इस्तेमाल को 31 दिसंबर 2022 तक बायोमास ईंधन में बदला जाए। दिल्ली में बायोमास प्रतिबंधित है, जबकि पात्र ज्यादातर उद्योग पीएनजी बदले जा चुके है। जहां पीएनजी उपलब्ध है वहां उदयोगों में ईंधन के रूप कोयले के इस्तेमाल पर एनसीआर में भी 30 सितंबर तक पूर्ण पाबंदी लगे। दिल्ली में इस पर पहले से ही पाबंदी है।
प्रदूषण रोकने की ग्रेप योजना के तहत जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 401 से 450 यानी गंभीर स्तर तक पहुंच जाए तो एनसीआर के औद्योगिक क्षेत्रों में चल रही ऐसी औद्योगिक इकाइयों को सप्ताह में 5 ही दिन चलाने की अनुमति मिले, जिनमें औद्योगिक ईंधन के रूप में पीएनजी, बायोमास व अन्य स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। औद्योगिक इकाइयों के छोटे छोटे क्लस्टर बनाकर उनमें अलग—अलग दिन छुट्टी रखी जाए। प्रदूषण स्तर अति गंभीर स्तर यानी 450 से ज्यादा होने पर आवश्यक वस्तुओं के निर्माण से जुड़ी इकाइयों को छोड़कर बाकी ऐसी इकाइयों को बंद किया जाए, जो पीएनजी व अन्य स्वच्छ ईंधन के अतिरिक्त किसी प्रदूषित ईंधन पर चल रही हैं।

First Published - July 15, 2022 | 12:07 AM IST

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