दिल्ली सरकार बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर औद्योगिक कचरे से होने वाले प्रदूषण पर सख्त हो गई है। कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से जुड़ी ऐसी औद्योगिक इकाइयों को बंद किया जा सकता है, जो सीईटीपी की पाइप लाइन में औद्योगिक कचरा नहीं डाल रही है। दिल्ली के अंदर 33 औद्योगिक क्लस्टर हैं। इनसे काफी औद्योगिक कचरा निकलता है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि बहुत सारे उद्योग सिर्फ कागजों पर ही दिखा देते हैं कि उन्होंने कचरे को ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा है, लेकिन वे कचरे को चुपके से नाले में डाल देते हैं और फिर नाले के जरिये वह कचरा यमुना में चला जाता है। सरकार अब औद्योगिक कचरे पर नकेल कसेगी। कचरा शोधन यंत्र न भेजने वाले उद्योगों को बंद किया जाएगा।
दिल्ली के 33 औद्योगिक क्लस्टर में से 17 औद्योगिक क्लस्टर ऐसे हैं, जिनका पानी 13 सीईटीपी में जाता है और बाकी सीईटीपी में नहीं जाता। जिनका पानी सीईटीपी में नहीं जाता, उनके पानी को अलग-अलग जगहों पर सीवर लाइन में टैप कर लिया जाएगा और उसे सीईटीपी में साफ होने के लिए भेजा जाएगा। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) दिल्ली जल बोर्ड के अधीन काम करता है और सीईटीपी दिल्ली राज्य औद्योगिक विकास व अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईडीसी) के अधीन काम करता है। सारे उद्योग डीएसआईडीसी के अंतर्गत आते हैं।
ऐसा देखा जा रहा है कि बहुत-सी औद्योगिक इकाइयां ऐसी हैं, जो अपना कचरा उस पाइप लाइन में नहीं डालतीं, जो सीईटीपी में जाती हैं। कुछ उद्योग ऐसे भी हैं, जिन्हें कुछ प्राथमिक उपचार के बाद पानी सीवर लाइन में डालना होता है। लेकिन कुछ उद्योग प्राथमिक उपचार किए बिना ही सीवर लाइन में पानी डाल देते हैं। इस वजह से सीवर लाइन के साथ-साथ सीईटीपी भी अवरुद्ध हो जाती है। इसलिए जो औद्योगिक इकाई पानी का प्राथमिक उपचार नहीं करेगी, उसे भी बंद किया जाएगा। ऐसी भी शिकायतें मिल रही हैं कि प्लास्टिक के दाने वाले कारखाने अपना कचरा सीवर लाइन में डाल देते हैं, जबकि उसे लैंडफिल साइट पर डालना होता है। अगर ये उद्योग किसी भी तरह के कचरे का ठीक से निपटान नहीं करेंगे, तो उन्हें भी बंद कर दिया जाएगा। यह कचरा नाले के जरिये यमुना में जाता है, जिससे वह प्रदूषित हो रही है।