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पानी के बिना पोहा भी गले में अटका

Last Updated- December 10, 2022 | 8:30 PM IST

चुनाव के पहले मध्य प्रदेश अब तक के गंभीर जल संकट से गुजर रहा है और इससे राज्य में जल आधारित उद्योगों की हालत खस्ता है।
खासतौर पर उज्जैन की पोहा और चावल मिलों पर इसकी मार सबसे अधिक पड़ी है। चावल से तैयार होने वाले पोहा की खपत देश भर में होती है और विशेष रूप से राज्य में तैयार होने वाला यह व्यंजन दूर दूर तक लोकप्रिय है।
राज्य में फैले जल संकट का असर इन उद्योगों पर कितना अधिक पड़ा है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले एक महीने में पानी की कमी के कारण 10 इकाइयों को बंद करना पड़ा है। अगर जल संकट इतना ही अधिक बना रहता है तो गर्मियों में और अधिक इकाइयों पर ताला जड़ सकता है।
राज्य सरकार के पास ऐसा कोई विकल्प मौजूद नहीं है जिससे औद्योगिक इकाइयों को जल की आपूर्ति की जा सके। गर्मी की शुरुआत होने के साथ ही शिप्रा नदी भी सूखने के कगार पर है।
उज्जैन पोहा परमल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के जितेंद्र राठी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘पिछले एक महीने से उज्जैन में घरेलू और औद्योगिक इलाकों में जलापूर्ति नहीं की गई है। हम भूमिगत जलापूर्ति के सहारे हैं जो निजी जल टैंकरों की ओर से किया जाता है। इस तरह हमारा लागत मूल्य प्रति क्विंटल 20 रुपये तक ऊपर चला गया है और मौजूदा मंदी के माहौल में हमारे लिए टिके रह पाना मुश्किल हो रहा है।
बाजार में मंदी छाए होने के कारण पिछले 6 महीनों के दौरान हमारा कारोबार पहले ही 30 फीसदी तक घट चुका है। कुल 45 मिलों में से 10 से 12 पहले ही बंद हो चुकी हैं और अगर आने वाले दिनों में हालात नहीं सुधरते हैं तो जल्द ही और मिलों पर ताला लग सकता है।’
उद्योगपतियों का कहना है कि आने वाले तीन महीनों में जब गर्मियां पूरे शबाब पर होंगी तो और कई मिलें बंद हो सकती हैं क्योंकि उस समय तक भूमिगत जलस्तर भी नीचे जाने लगेगा। उज्जैन में औद्योगिक केंद्र विकास निगम के प्रबंध निदेशक एस एन मेनिया ने बताया कि उज्जैन में जल आधारित मिलें नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने पूरे शहर को जलापूर्ति रोक दी है।

First Published - March 18, 2009 | 9:00 PM IST

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