मध्य प्रदेश के आबकारी अधिकारियों ने कानून का हवाला देते हुए रतलाम जिले के तितरी गांव में शराब निर्माताओं से निरीक्षण कक्ष स्थापित करने को कहा है।
गौरतलब है कि 1985 के आबकारी कानून के अनुसार, मध्य प्रदेश में सभी शराब निर्माताओं के लिए शराब निर्माण क्षेत्र में एक निरीक्षण कक्ष बनाना अनिवार्य है।
अंगूर से शराब बनाने वाले उद्यमी मुख्यमंत्री से मुलाकात करके शराब उद्योग को आबकारी कानून के दायरे से बाहर रखने का आग्रह किया है।
राज्य सरकार ने शराब उद्योग को आबकारी कानून से बाहर रखने और इसे खाद्य प्रंसस्करण उद्योग का दर्जा प्रदान करने के लिए अंगूर प्रसंस्करण औद्योगिक नीति बनाई थी।
दो वर्ष पहले 15 अंगूर किसानों ने पटेल वाइन ऐंड फ्रूट प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के नाम से एक फर्म खोली थी। यह फर्म सहकारिता के प्रारूप पर आधारित थी।
शराब निर्माताओं के अनुसार उन्हें आश्वासन दिया गया था कि शराब उद्योग को आबकारी शुल्क के दायरे से बाहर रखा जाएगा, जबकि अन्य कानून लागू रहेंगे।
आबकारी शुल्क अधिकारियों के शराब निर्माण क्षेत्र के अंदर निरीक्षण कक्ष बनाने के सवाल पर गुस्सा फूट पड़ा है। उनका कहना है कि हम पहले से ही वित्तिय संकट की मार को झेल रहे हैं और ऐसी स्थिती में यह करना हमारे लिए कहीं से भी संभव नहीं होगा।
राज्य के खाद प्रंसस्करण सचिव एसपीएस परिहार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए स्वीकार किया कि जिन उत्पाद अधिकारियों ने निरीक्षण कक्ष की मांग की थी, उन्हें निर्देश दिया गया है कि वह कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाएं, जो कानूनी दायरे में नहीं आता हो।
परिहार ने यह भी कहा कि शराब उद्योग में मध्य प्रदेश में कोई आबाकरी शुल्क नहीं है। इसके अलावा नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के सवाल पर अगर कानून अनुमति देता है, तो निर्णय शराब निर्माताओं के पक्ष में लेने की कोशिश करेंगे।
किसानों ने मुख्यमंत्री से महाराष्ट्र की तर्ज पर नई नीति बनाने की अपील भी की है।