उत्तर प्रदेश में आलू की बढ़ती कीमतों को थामने के लिए योगी सरकार के कोल्ड स्टोरों में जमा स्टॉक बाहर निकालने के फरमान का किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि अभी बुआई और अन्य जरूरतों के लिए उनका आलू कोल्ट स्टोरों में ही रहने दिया जाए। हालांकि सरकार का कहना है कि प्रदेश के कोल्ड स्टोरों में 24 लाख टन से ज्यादा पुराना आलू भरा पड़ा है जिसकी निकासी के बाद खुले बाजार में इसकी कीमतें गिरेंगी। सरकार ने कोल्ड स्टोरों से आलू निकासी की समयसीमा 31 अक्टूबर रखी थी। जमाखोरी पर अंकुश लगाने के चलते सभी जिलाधिकारियों से आलू की निकासी कराने को कहा गया है।
मंगलवार को प्रदेश में आलू बेल्ट कहे जाने वाले आगरा जिले में किसानों ने प्रदर्शन कर सरकार से आलू निकासी का आदेश वापस लेने की मांग की और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। किसानों ने आलू को निकालने की समय सीमा को नवंबर तक बढ़ाने की मांग की है। इससे पहले भारतीय किसान यूनियन ने भी राजधानी में सरकार को ज्ञापन सौंप आलू निकासी की समय सीमा हटाने की मांग की थी। किसान नेताओं का कहना है कि निकासी के आदेश के चलते किसानों का आलू खराब होगा और उनका नुकसान होगा।
देश भर की तरह उत्तर प्रदेश में भी इन खाद्य उत्पादों के दाम आसमान छू रहे हैं। प्याज और दाल की जहां आवक में खासी कमी आई है, वहीं आलू कोल्डस्टोरों में जमा होने के बाद भी तेजी पकड़ रहा है। उद्यान निदेशालय के मुताबिक, अभी कोल्ड स्टोरेज में 24.56 लाख टन आलू है। जबकि बीते एक महीने में 6 लाख टन आलू ही बीज के रूप में इस्तेमाल हो चुका है जबकि आने वाले दिनों में दो लाख टन की ही जरूरत है। उनका कहना है कि प्रदेश में ज्यादातर बुआई हो चुकी है।
