5 वजहें जिनसे ओला का शेयर 18% उछला… पर क्या निवेश करना सही रहेगा?

Q1 FY26 में घाटा आधा रह गया, नई बैटरियों और Gen 3 स्कूटर्स से कंपनी को मिला फायदा… पर क्या लंबी रेस का घोड़ा बन पाएगी ओला?

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देवव्रत बाजपेयी   
Last Updated- July 14, 2025 | 3:25 PM IST

ओला इलेक्ट्रिक ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1 FY26) के नतीजे जारी किए, जिसमें कंपनी को ₹420 करोड़ का घाटा हुआ। ये घाटा पिछली तिमाही यानी Q4 FY25 में हुए ₹870 करोड़ के घाटे से जरूर कम है, लेकिन साल दर साल तुलना करें तो पिछली साल इसी तिमाही में कंपनी को ₹347 करोड़ का घाटा हुआ था, यानी लॉस बढ़ा है।

कंपनी की ऑपरेशनल इनकम ₹828 करोड़ रही, जो पिछली तिमाही से 35.5% ज़्यादा है। लेकिन अगर इसे पिछले साल की इसी तिमाही से देखें तो लगभग 50% की गिरावट है। डिलीवरी भी बुरी तरह घटी। Q1 FY26 में सिर्फ 68,192 यूनिट्स बिके जबकि Q1 FY25 में यह संख्या 1,25,198 थी। लेकिन इस सबके बावजूद शेयर इंट्राडे के दौरान करीब 18% तक चढ़ गए। स्टॉक ने इस दौरान ₹46.83 का हाई बनाया और खबर लिखे जाने तक ₹45.36 पर ट्रेड कर रहा था। अब सवाल ये है कि इतने कमजोर नतीजों के बाद भी ओला का शेयर 17% क्यों चढ़ा? आइए विस्तार से समझते हैं 5 अहम वजहें।

1. पिछली तिमाही से घाटा आधा हो गया — ‘सुधार’ की शुरुआत

ओला इलेक्ट्रिक के इस तिमाही नतीजे में सबसे पहली और बड़ी राहत यह रही कि कंपनी का घाटा अब घटने लगा है। जहां पिछली तिमाही (Q4 FY25) में कंपनी को ₹870 करोड़ का नुकसान हुआ था, वहीं इस तिमाही (Q1 FY26) में यह घाटा घटकर ₹420 करोड़ रह गया। अब भले ही यह अभी भी घाटा है, लेकिन शेयर बाजार में हमेशा यह देखा जाता है कि कंपनी कहां जा रही है, नीचे की ओर या ऊपर की ओर।

अगर नुकसान लगातार बढ़ता जाए, तो निवेशकों को डर लगता है कि कुछ बुनियादी गड़बड़ है। लेकिन जब घाटा कम होने लगे, तो ये इस बात का साफ संकेत होता है कि कंपनी अपने खर्च काबू में ला रही है, कारोबार पटरी पर लाने की कोशिश सफल हो रही है। यही बात ओला के इस तिमाही नतीजे में नजर आई और निवेशकों ने इसे एक पॉजिटिव ट्रेंड माना। इसलिए भले अभी कंपनी मुनाफे में नहीं है, लेकिन बाजार को भरोसा होने लगा है कि ये कंपनी मुनाफे की तरफ बढ़ रही है — और यही भरोसा शेयर को चढ़ा गया।

2. Gen 3 स्कूटर बने गेमचेंजर — कम फॉल्ट, ज्यादा मुनाफा

ओला इलेक्ट्रिक ने इस तिमाही में एक अहम खुलासा किय। अब उसकी लगभग 80% बिक्री Gen 3 स्कूटर्स की हो रही है। यानी ज्यादातर ग्राहक अब ओला के नए और अपग्रेडेड मॉडल्स खरीद रहे हैं। Gen 3 स्कूटर्स सिर्फ दिखने में ही नहीं, परफॉर्मेंस और भरोसे के मामले में भी काफी आगे हैं। पुराने Gen 1 मॉडल्स की तुलना में इनमें खराबी की शिकायतें 60% तक कम हो गई हैं। और यही नहीं, इन स्कूटर्स ने कंपनी की कमाई का गणित भी बदल दिया है। Gen 3 की वजह से कंपनी की ग्रॉस मार्जिन, यानी गाड़ी बेचने के बाद बचने वाला मुनाफा, 25.6% तक पहुंच गया है। और वो भी बिना किसी सरकारी सब्सिडी (PLI) के। ओला का कहना है कि जब अगली तिमाहियों में PLI का फायदा भी मिलना शुरू होगा, तब यही मार्जिन 35-40% तक जा सकता है। इसका मतलब साफ है, बेहतर प्रोडक्ट, कम लागत और ज्यादा मुनाफा। यही वजह है कि निवेशकों की नज़रें Gen 3 स्कूटर्स पर टिक गई हैं और बाजार में ओला का भरोसा फिर से लौटता दिखाई दे रहा है।

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3. अपनी ही बैटरी बना रही है कंपनी — लागत में भारी बचत

ओला इलेक्ट्रिक अब बाहर से बैटरियां खरीदने के बजाय उन्हें खुद बनाने लगी है। कंपनी ने अपने प्लांट में नई पीढ़ी की एडवांस्ड बैटरियां 4680 सेल्स का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। ये वही बैटरियां हैं जिन्हें कंपनी अपने स्कूटर्स और बाइक्स में लगाने जा रही है। इस बदलाव से ओला को दो बड़े फायदे मिलेंगे- पहला, बैटरी की लागत काफी घट जाएगी, जिससे एक गाड़ी पर लगभग ₹40,000 से ₹45,000 तक की बचत होगी। दूसरा, कंपनी को अब बैटरी सप्लायर्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जिससे उत्पादन में देरी या सप्लाई की दिक्कतें भी कम होंगी।

कंपनी का कहना है कि इस नवरात्रि से 4680 सेल्स वाली गाड़ियों की डिलीवरी शुरू हो जाएगी। अभी के लिए प्लांट की क्षमता 1.4 GWh है, जिससे करीब 3 लाख गाड़ियों की बैटरी बनाई जा सकती है। FY26 के अंत तक ये क्षमता पूरी तरह इस्तेमाल होगी और FY27 तक इसे बढ़ाकर 5 GWh किया जाएगा, जिससे सालाना 12 लाख गाड़ियों की बैटरी बन पाना मुमकिन होगा। ओला का दावा है कि 5 GWh के स्तर पर पहुंचते ही उसकी बैटरियां खरीदने से ज़्यादा सस्ती बनेंगी। यही वजह है कि यह कदम निवेशकों को बहुत बड़ा गेमचेंजर लग रहा है। क्योंकि यह टेक्नोलॉजी, मुनाफे और आत्मनिर्भरता तीनों को साथ लेकर चल रहा है।

4. वॉरंटी खर्च में गिरावट — पुरानी गलतियों से ली सीख

ओला इलेक्ट्रिक के पुराने Gen 1 स्कूटर्स को लेकर सबसे बड़ी परेशानी थी- खराबी और वॉरंटी क्लेम्स। बार-बार रिपेयर की ज़रूरत और ग्राहकों की शिकायतें कंपनी पर भारी पड़ रही थीं। इसकी वजह से कंपनी को हर तिमाही में वॉरंटी खर्च का बड़ा बोझ उठाना पड़ता था। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। कंपनी ने बताया कि Gen 2 स्कूटर्स में Gen 1 के मुकाबले 30% कम खराबी आई, और Gen 3 में तो यह आंकड़ा 60% तक घट गया। यानी हर नए मॉडल के साथ प्रोडक्ट क्वालिटी बेहतर होती जा रही है।

एक और बड़ी बात, Gen 3 स्कूटर्स में जो मोटर और कंट्रोलर लगे हैं, वो अब कंपनी खुद ही बना रही है। पहले ये बाहर से खरीदे जाते थे, जिससे कई बार क्वालिटी का भरोसा नहीं रहता था। अब इन जरूरी पार्ट्स पर कंपनी का खुद का कंट्रोल है, जिससे खराबी की आशंका और भी कम हो गई है।

पिछली तिमाही यानी Q4 FY25 में ओला इलेक्ट्रिक ने एक अहम फैसला लिया। कंपनी ने अपने पहले और दूसरे जेनरेशन के स्कूटर्स में संभावित खराबियों से जुड़ी वॉरंटी क्लेम्स के लिए ₹250 करोड़ का एकमुश्त प्रावधान कर दिया। मतलब ये कि भविष्य में अगर किसी पुराने स्कूटर की मरम्मत या पार्ट बदलने का खर्च आता है, तो उसकी मार अब तिमाही मुनाफे पर नहीं पड़ेगी। क्योंकि उसका इंतज़ाम पहले ही कर लिया गया है।

इस फैसले का असर इस तिमाही में साफ दिखा। Q1 FY26 में कंपनी का EBITDA यानी कमाई से जुड़े मुनाफे का स्तर बेहतर हुआ है। और यही सुधार निवेशकों को ये भरोसा दिला रहा है कि कंपनी अब अपनी पुरानी ज़िम्मेदारियों को निपटाकर एक स्थिर और मज़बूत रास्ते पर आगे बढ़ रही है।

5. त्योहारों में बिक्री का भरोसा और मजबूत प्लानिंग

ओला इलेक्ट्रिक को अपने कारोबार की दिशा पर पूरा भरोसा है। कंपनी का अनुमान है कि FY26 यानी इस वित्त वर्ष में वह करीब 3.25 से 3.75 लाख वाहन बेच लेगी और इसके जरिए ₹4,200 से ₹4,700 करोड़ तक की कमाई करेगी। जून के महीने में कंपनी का Auto सेगमेंट EBITDA पॉजिटिव हो चुका है। यानी कंपनी अब इस सेगमेंट में मुनाफा कमाने लगी है। कंपनी को भरोसा है कि दूसरी तिमाही (Q2) में यह प्रदर्शन और बेहतर होगा। इसके अलावा, नवरात्रि से कंपनी के नए, इन-हाउस 4680 बैटरी वाले स्कूटर की डिलीवरी भी शुरू होगी। इससे बिक्री में और उछाल आने की उम्मीद है।

सबसे राहत देने वाली बात यह है कि कंपनी के पास फिलहाल ₹3,197 करोड़ का कैश बैलेंस मौजूद है। यानी ऑपरेशंस चलाने या प्लांट लगाने के लिए उसे न तो नया कर्ज लेना है और न ही शेयर बेचने की जरूरत। निवेशकों के लिए यह एक मजबूत संकेत है कि कंपनी आर्थिक रूप से स्थिर है और किसी बड़ी वित्तीय दिक्कत में नहीं फंसी है। यही वजह है कि बाजार का भरोसा ओला इलेक्ट्रिक पर बना हुआ है।

क्या ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में निवेश करना चाहिए?

WealthMills Securities के इक्विटी स्ट्रैटेजी डायरेक्टर क्रांति बथिनी के मुताबिक, कई कारोबारी चुनौतियों की वजह से शेयर दबाव में रहा, और हाल ही में लॉन्च हुए नए मॉडल्स भी बाजार में कोई खास पकड़ नहीं बना पाए। Q1 FY26 के नतीजों के बाद जब कंपनी ने संकेत दिया कि वह जल्दी ही ब्रेक ईवन यानी घाटे से निकलकर मुनाफे की स्थिति में पहुंच सकती है, तब बाजार में थोड़ी खरीदारी देखने को मिली। इससे निवेशकों को लगा कि शायद अब कंपनी सही दिशा में बढ़ रही है। बथिनी ने साफ तौर पर कहा कि ओला इलेक्ट्रिक का शेयर सिर्फ उन्हीं निवेशकों के लिए ठीक है जिनका नजरिया लंबी अवधि का है और जो ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि कंपनी की आमदनी और मुनाफे से जुड़े अहम आंकड़ों में अभी और सुधार देखने की जरूरत है, तभी स्थायी भरोसा बन पाएगा। शेयर अपने पीक यानी हाई से अब तक 60-70% तक गिर चुका है, जिससे उसका वैल्यूएशन अब कुछ हद तक बाजार को ठीक-ठाक लग रहा है। लेकिन बथिनी ने चेताया कि जब तक कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी यानी मुनाफे की तस्वीर साफ नहीं होती, तब तक बाजार का भरोसा पूरी तरह नहीं लौटेगा। अगर आप लंबे समय तक इंतजार कर सकते हैं और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव सहने का माद्दा रखते हैं, तभी ओला इलेक्ट्रिक में निवेश पर विचार करें। बाकी निवेशकों के लिए फिलहाल सतर्क रहना ही समझदारी होगी।

First Published : July 14, 2025 | 3:25 PM IST