सुप्रीम कोर्ट ने आज शराब आपूर्ति का ठेका देने के एक मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक निजी कंपनी को देशी शराब और भारत में बनी विदेशी शराब की आपूर्ति का लाइसेंस दिया है। न्यायालय में सरकारी नीतियों को दरकिनार करते हुए एक निजी कंपनी का चयन करने का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसकी सुनवाई के दौरान यह नोटिस जारी की गई है।
पिछले साल यह लाइसेंस उत्तर प्रदेश सहकारी सुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड और ब्लू वाटर इंडस्ट्रीज प्रा लिमिटेड को यह लाइसेंस दिया गया था। निजी कंपनी की स्थापना पिछले साल हुई थी। विनय कुमार मिश्रा द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस कंपनी का स्थापना केवल शराब आपूर्ति का लाइसेंस लेने के लिए ही की गई थी। मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह नोटिस जारी की है।
राज्य सरकार की नीतियों के मुताबिक इस तरह का लाइसेंस सिर्फ प्रमुख सहकारी सोसाईटी या फिर राज्य निगमों को ही दिया जा सकता है। ब्लू वाटर इंडस्ट्रीज इन दोनों दशाओं पर खरी नहीं उतरती है। यहां तक कि लाइसेंस जारी करने के लिए कोई भी निविदा आमंत्रित नहीं की गई और लाइसेंस देने में प्रतिस्पर्धी बोली के लिए कोई भी जगह नहीं थी। आरोप लगाया गया है कि इस तरह 4,000 करोड़ रुपये का कारोबार निजी क्षेत्र की एक ऐसी कंपनी के हाथों में सौंप दिया गया जिसके पास मामूली सा अनुभव और पूंजी थी।
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस याचिका को सिर्फ इस आधार पर खारिज कर दिया था कि याचिका एक पत्रकार द्वारा दाखिल की गई है और उनका इस कारोबार से कोई लेना-देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में वकील ने अपनी दलील में कहा कि पत्रकार को भी अन्य नागरिकों की तरह ही अधिकार हासिल हैं और वे भी लोक हित में याचिका दायर कर सकते हैं।
