उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का नोएडा विदेशी खासकर कोरियाई और चीनी कंपनियों का हब बन रहा है। चीन की ओप्पो, वीवो और फारमी के साथ पांच कोरियाई कंपनियों ने अपनी इकाई लगाने के लिए ग्रेटर नोएडा में जमीन ली है। ग्रेटर नोएडा में निवेश करने वाली पांचों कोरियाई कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़ी हैं। इन कंपनियों से करीब 1,154 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 8,706 युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। ग्रेटर नोएडा में जिन पांच बड़ी कोरियाई कंपनियों ने अपनी इकाई लगाने के लिए अबतक 3.51 लाख वर्ग मीटर जमीन खरीदी है, वह मोबाइल के पुर्जे बनाने वाली बड़ी प्रतिष्ठित कंपनियां हैं।
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार सैमक्वांग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स, केएच वैटेक इंडिया, सेनेटेक इंडिया, ड्रीमटेक और स्टेरिऑन ने ग्रेटर नोएडा में कारखाना स्थापित करने के लिए जमीन खरीदी है। प्राधिकरण से ली गई जमीन पर सैमक्वांग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स 440 करोड़ रुपये का निवेश कर अपना कारखाना लगा रही है, जिसमें 4,000 लोगों को रोजगार मिलेगा जबकि केएच वैटेक इंडिया 247 करोड़ रुपये और सेनेटेक इंडिया 34 करोड़ रुपये का निवेश कर कारखाना लगा रही है। केएच वैटेक इंडिया के कारखाने में 786 तथा सेनेटेक इंडिया के कारखाने में 350 लोगों को रोजगार मिलेगा। जबकि ड्रीम टेक और स्टेरिऑन ने बीते दिनों कारखाना लगाने के लिए जमीन खरीदी है। ये दोनों कंपनियां सेक्टर ईकोटेक 10 में अपना संयंत्र लगाएंगी। करीब 433 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी और 3,570 युवाओं को रोजगार देंगी।
अधिकारियों का कहना है कि इन कोरियाई कंपनियों के अलावा कुछ और कोरियाई कंपनियां भी ग्रेटर नोएडा में जमीन लेने की इच्छुक हैं। जल्दी ही सरकार राज्य में निवेश को इच्छुक कई अन्य कोरियाई कंपनियों के नामों का खुलासा करेगी। कोरियाई कंपनियों के अलावा बड़ी तादाद में चीनी कंपनियों ने भी अपनी इकाई लगाने के लिए ग्रेटर नोएडा को चुना है। आधिकारियों का कहना है कि चीन की प्रमुख कंपनी विवो का 7,429 करोड़ रुपये तथा ओप्पो का 2,000 करोड़ रुपये का ग्रेटर नोएडा में निवेश हो चुका है।
उनका कहना है कि लैपटाप, मोबाइल फोन तथा इलेक्ट्रानिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की इन विख्यात चीनी कंपनियों के नोएडा आने पर कोरयाई कंपनियों ने भी नोएडा का रुख किया। उन्होंने अन्य राज्यों में निवेश करने के स्थान पर ग्रेटर नोएडा में अपना कारखाना लगाने के लिए जमीन ले ली। इन कोरियाई कंपनियों तथा चीन की कंपनियों के ग्रेटर नोएडा में हो रहे निवेश से राज्य में जहां लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं इन कंपनियों के कारखानों में तैयार होने वाले उत्पाद से सरकार को जीएसटी के रूप में भारी राजस्व प्राप्त होगा। इसके साथ ही इन चीनी तथा कोरियाई कंपनियों के चलते ग्रेटर नोएडा इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के गढ़ के रूप में उभरेगा।
