महाराष्ट्र में नामकरण की राजनीति सरपट दौड़ रही है। मुंबई के रेलवे स्टेशन ‘मुंबई सेंट्रल’ का नाम जल्द ही बदलकर नाना शंकरसेठ स्टेशन होने वाला है। हाल ही महाराष्ट्र सरकार ने एक प्रस्ताव पास करके उसे पश्चिम रेल के पास भेजा है। इसके साथ ही कई और स्टेशनों का नाम बदलने की कवायद चालू है। औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर करने की घोषणा के साथ ही कुछ और शहरों के भी नाम बदलने की आवाज उठने लगी।
महा विकास अघाड़ी सरकार जल्द ही मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘नाना शंकर सेठ टर्मिनस’ करने जा रही है। मुंबई सेंट्रल शहर की वेस्टर्न लाईन का एक प्रमुख स्टेशन है। यहां से देशभर में मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें आती-जाती हैं। जगन्नाथ शंकरसेठ एक उद्योगपति और शिक्षाविद् थे। वह भारत की पहली रेलवे कंपनी के पहले निदेशकों में से एक थे। उन्हें आधुनिक मुंबई के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। उनका मूल नाम जगन्नाथ शंकर शेठ मुर्कुट था। लोग आदरपूर्वक उन्हे नाना कहते थे। उनका जन्म 1803 में और मृत्यु 1865 में मुंबई में हुई थी। वह इंडियन रेलवे एसोसिएशन के सदस्य थे। इस संगठन के कारण अंग्रेजों ने मुंबई में रेलवे की शुरुआत की।
मुंबई सेंट्रल स्टेशन का नाम का चौथी बार बदल रहा है। अंग्रेजों के शासनकाल में इस स्टेशन को बेलासिस रोड कहा जाता था। उसके बाद इसका नाम बदलकर बॉम्बे सेंट्रल कर दिया गया। 1995 में जब तत्कालीन शिवसेना-बीजेपी की गठबंधन सरकार ने शहर का नाम बदला तो इस स्टेशन का नाम भी बदल गया। मार्च 2020 में विधानसभा ने सर्वसम्मति से स्टेशन का नाम बदलने के प्रस्ताव को पास कर दिया था, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से यह उस समय संभव नहीं हो सका था। बुधवार को सांसद अरविंद सावंत ने कहा है कि पश्चिम रेलवे ने स्टेशन का नाम बदलने को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। अरविंद सावंत ने छह साल पहले राज्य और केंद्र को पत्र लिखकर नाम बदलने की मांग की थी। अरविंद सावंत ने कहा कि इस मांग को राज्य मंत्रिमंडल ने मार्च में मंजूरी दी थी और अब इसे केंद्र की मंजूरी का इंतजार है।
सांसद अरविंद सावंत के पत्र पर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने जवाब दिया है कि यह प्रक्रिया विचाराधीन है और जल्द ही इस संबंध में पत्र के माध्यम से सूचित किया जाएगा। सावंत का मानना है कि उनकी कोशिश जल्द रंग लाने वाली है। शिवसेना लंबे समय से मुंबई समेत अन्य लोकल रेलवे स्टेशन के नामों का बदलने की मांग कर रही थी। उसका तर्क है कि ये नाम ब्रिटिश काल के हैं और इनको स्थानीय नाम देने की जरूरत है। इसको लेकर साल 2017 में शिवसेना के प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की थी। अब सत्ता में आने के बाद शिवसेना ने इसे अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है।
इससे पहले भी कई रेल स्टेशनों के नाम बदले गये हैं जिनका नामकरण अंग्रेजों ने किया था जैसे- विक्टोरिया टर्मिनस का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) कर दिया गया और एलफिंस्टन रोड नाम बदलकर प्रभादेवी कर दिया गया। सालों से मुंबई के कई अन्य स्टेशनों के भी नाम बदलने की मांग हो रही है जैसे चर्नी रोड की जगह उसका नाम गिरगांव किया जाये, ग्रांट रोड का नाम बदलकर गांवदेवी किया जाये, दादर का नाम बदलकर चैत्यभूमि किया जाये, सेंडहर्सट रोड का नाम डोंगरी हो और डॉकयार्ड रोड का नाम मजगांव किया जाए।
