किसी किसान की जमीन की कीमत प्रति एकड़ 1 करोड़ रुपये हो और वह भी सरकार की कर्जमाफी की घोषणा का लाभ उठाने के लिए लाइन में खड़ा हो, तो छोटे व गरीब किसानों को मलाल होना लाजिमी है।
जी हां, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव, कैथल, रोहतक, मानेसर जैसे इलाकों के सैकड़ों करोड़पति किसान इस कर्जमाफी का लाभ उठाने जा रहे हैं। जबकि राजस्थान व उत्तर प्रदेश के दूरदराज इलाकों के किसानों को इस कर्जमाफी की घोषणा का पता तक नहीं है।
एनसीआर के क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के कारण बीते पांच सालों के दौरान जमीन की कीमत आसमान छूने लगी है। एनसीआर के कुछ इलाकों में कृषि योग्य जमीन की कीमत प्रति एकड़ 1.5 करोड़ रुपये हो गयी है। लाल कुआं से दादरी तक सड़क किनारे की जमीन इसी कीमत से बिक रही है।
गाजियाबाद के किसानों के मुताबिक इन इलाकों में जो जमीन मुख्य सड़क से कई किलोमीटर अंदर है और वहां जंगल है, उसकी कीमत भी 15-20 लाख रुपये प्रति एकड़ है।सड़क किनारे की किसी भी जमीन के दाम 40-50 लाख रुपये प्रति एकड़ से कम नहीं है। धौलाना इलाके के सिवाया गांव के निवासी एवं वायु सेना के अवकाश प्राप्त शिक्षक रामबीर सिंह सिसोदिया कहते हैं, ‘हमारे गांव व आसपास के गांवों के 60 फीसदी से अधिक किसान करोड़पति है।
ऐसे में उनके कर्जमाफी का क्या मतलब। इस घोषणा से सरकार अपनी राजनैतिक रोटी सेंक रही है।’ वे बताते हैं कि गाजियाबाद के साहनी गांव में 55 लाख रुपये एकड़ का मुआवजा वहां के किसानों को दिया गया है। उन्हें भला 20 हजार रुपये माफी की क्या जरूरत है। पिलखुआ व डासना में खेत की कीमत 1 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है।
फरीदाबाद से सटे गांवों के दाम भी लगभग इसी स्तर पर है। यहां तक कि बुलंदशहर में जिस खेत की कीमत चार साल पहले 15-20 हजार रुपये प्रति बीघा थी वह एक लाख रुपये प्रति बीघा हो गयी है। दूसरी ओर राजस्थान से आजादपुर मंडी में प्याज बेचने आए किसान शंकर लाल साहनी से इस संवाददाता ने जब कर्जमाफी की बात पूछी तो उसने कहा कि वह अपने गांव जाकर पता करेगा। उसे कर्जमाफी की कोई जानकारी नहीं।
जानकारी के मुताबिक गौतमबुध्द नगर में लगभग 80 गांव है तो फरीदाबाद इलाके में लगभग 300। अनुमान के अनुसान गाजियाबाद में गांवों की संख्या 400-500 है। किसानों से ली गयी जानकारी के मुताबिक इन इलाकों के हर गांव में 300-350 घर है। इनमें से 60 फीसदी किसान करोड़पति है।
दिल्ली से जयपुर रोड के किनारे बसे सभी गांवों के किसान भी करोड़पति हो चुके हैं। उधर खुर्जा, रोहतक व मेरठ में खेतों की कीमत पिछले चार सालों मेंर् कई गुना बढ़र् गई हैं। उन्होंने बताया कि जो किसान वास्तव में गरीब हैं, उन्हें इस कर्जमाफी का लाभ मिलना चाहिए।