यह सही है कि कानपुर में अब पहले जैसी बात नहीं रही है लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद पड़ोसी राज्यों के लिए कानपुर एक बड़ा वाणिज्यिक केंद्र बना हुआ है।
कानपुर आज भी कपड़ा, मसाले, खाद्यान्न, रसायन, साबुन, पान मसाला, होजरी, फल और सब्जियों तथा इंजीनियरिंग सामानों के थोक कारोबार का प्रमख केंद्र है। उत्तर प्रदेश मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (यूपीएमटीए) के अध्यक्ष श्याम कुमार गुप्ता ने बताया कि अलग-अलग तरह के थोक सौदों के कारण शहर से प्रतिदिन 8,000 टन माल की बुकिंग होगी है।
ढांचागत अभाव के बावजूद शहर से कई बड़े ब्रांड उभर कर सामने आए हैं और लगातार अपनी मजबूती को बनाए हुए हैं। इनमें से मिर्जा टेनरी, सुपर हाउस, पान पराग, घड़ी डिटरजेंट, रेड टेप लेदर, जेट नाईट होजरी, सरस्वती इंजीनियरिंग, रूपानी स्लीपर्स, रोटोमैक पैन, अशोक और गोल्डी मसाले प्रमुख हैं। हालांकि ये उद्योग भी शहर में आगे विस्तार को लेकर उत्सुक नहीं दिखते हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, बिहार, बंगाल और अन्य पड़ोसी राज्यों को रोजमर्रे की जरुरतों के सामान की आपूर्ति के लिए कानपुर प्रमुख केंद्र है। कानपुर मसालों, मेवे, इंजीनियरिंग वस्तुओं के थोक विके्रताओं का भी पसंदीदा है। कानपुर में प्रतिदिन 250 करोड़ रुपये के थोक सौदे होते हैं।
कानपुर कपड़ा समिति (केकेसी) के सचिव परमेश कुमार मिश्रा ने बताया कि कारोबारी पंजाब से ऊनी कपड़े, पानीपत से चादरें और शोलापुर से तौलिये खरीदते हैं और फिर बिहार और पश्चिम बंगाल के छोटे कारोबारियों को इनकी आपूर्ति की जाती है।
दाल मिलर्स एसोसिएशन के सचिव प्रमोद जायसवाल ने बताया कि कानपुर से बिहार, बंगाल और मध्य प्रदेश को प्रतिदिन 2,000 किलो दाल की आपूर्ति की जाती है। हालांकि, अब छोटे शहरों में बदलाव की बयार कानपुर तक पहुंचने लगी है।
नौघड़ा कपड़ा समिति के अध्यक्ष शेष नारायण त्रिवेदी ने बताया कि संगठित रिटेल और कंपनी आउटलेट के फैलाव के साथ ही अब कंपनियां सीधे ग्राहकों और छोटे कारोबारियों तक पहुंचना चाह रही हैं।