मध्य प्रदेश की बड़ी औद्योगिक इकाइयां अपने कर्मचारियों के वेतन में अचानक 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी करने के सरकारी निर्णय से नाखुश नजर आ रही हैं।
औद्योगिक इकाइयों के कर्मचारियों के वेतन में होने वाली यह बढ़ोतरी दो महीनों के भीतर की गई है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई)का मानना है कि राज्य के भीतर मजदूरी दर में 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। यह बढ़ोतरी मध्य प्रदेश के चारों ओर के पड़ोसी राज्यों से ज्यादा है।
सीआईआई का कहना है कि राज्य में मजदूरी की दरें ऐसे समय में बढ़ाई गई हैं, जब ज्यादा से ज्यादा कंपनियां मध्य प्रदेश में निवेश करने की योजना बना रही हैं। लेकिन ऐसा होने से कई कंपनियों ने अपनी इन योजनाओं को स्थगित कर दिया है। मध्य प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य के श्रम मंत्रालय ने औद्योगिक इकाइयों को विश्वास में लिए बिना ही इस निर्णय को उठाया है। इसके अलावा श्रम मंत्रालय ने मजदूरों के वेतन में जिस तरह के सुधार किए हैं, वे भी दोहरे मानदंडों वाले हैं।
सरकार के इस निर्णय के विरोध में औद्योगिक इकाइयों ने न्यायालय की शरण में जाने का मन बनाया है। पीथमपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष गौतम कोठारी का कहना है कि क्या सरकार ने अपने कर्मचारियों के वेतन मे 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अगर नहीं तो फिर इसे औद्योगिक इकाइयों के ऊपर क्यों थोपा जा रहा है। सीआईआई का कहना है कि मध्य प्रदेश में औद्योगिक मजदूरों के वेतन में 2165 रुपये से लेकर 3195 रुपये तक की बढ़ोतरी हो गई है।
सीआईआई की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद का कहना है कि हमने वेतन में हुई बढ़ोतरी को लेकर मध्य प्रदेश के सभी पड़ोसी राज्यों से एक तुलनात्मक अध्ययन कराया है। इस अध्ययन में यह बात साफ तौर उभर कर आ रही है कि मध्य प्रदेश में वेतन दर अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी ऊंची है।