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खुशियां हैं कम, ढेरों है गम

Last Updated- December 07, 2022 | 8:40 AM IST

दिल्ली के प्लास्टिक बैग निर्माताओं की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित सरकारी अधिकारियों की एक कमेटी ने कहा है कि इन निर्माताओं को प्लास्टिक को रिसायकल्ड करने वाली आधुनिक मशीन स्थापित करनी चाहिए।


ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। हालांकि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्लास्टिक बैग निर्माताओं को राहत भी दी है। कमेटी ने हाईकोर्ट को बताया है कि दिल्ली में पूर्ण रूप से प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है और प्लास्टिक बैग से जुड़े कानून में सिर्फ कुछ संशोधन की आवश्यकता है।

दिल्ली में 2 हजार से अधिक प्लास्टिक बैग निर्माता है। इस कमेटी के सदस्य केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण समिति व दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारी भी है। दिल्ली में रोजाना 8000 टन कचरा निकलता है और इनमें से 10 फीसदी कचरा प्लास्टिक से जुड़ा होता है। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अभी कोई अपना अंतिम फैसला नहीं दिया है। दिल्ली में पूर्ण रूप से प्लास्टिक बैग के प्रतिबंध की गुजारिश से जुड़ी याचिका पर हाईकोर्ट ने इस कमेटी का गठन किया था। याचिका गैर सरकारी संगठन तपस की तरफ से दायर की गयी है।

प्लास्टिक निर्माता एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में कमेटी ने कहा है कि दिल्ली में प्लास्टिक बैग की मोटाई 40 माइक्रोन होनी चाहिए। फिलहाल दिल्ली में 20 माइक्रोन की मोटाई वाले प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल हो रहा है। कमेटी का मानना है कि मोटाई बढ़ा देने से प्लास्टिक बैग महंगा हो जाएगा और इसके इस्तेमाल में कमी आएगी। रिपोर्ट में दिल्ली के सभी जोन में प्लास्टिक कॉम्पैक्ट यूनिट लगाने की सिफारिश की गयी है।

इस यूनिट से कूड़े उठाने वाले या फिर अन्य एजेंसी इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक (वेस्टेड प्लास्टिक) बैग को फिर से इस्तेमाल के लायक बनाने के लिए (रिसायकलिंग) इकट्ठा कर सकते हैं। दिल्ली में इस प्रकार की काम्पैक्ट मशीन का निर्माण किया जा रहा है और श्रीकोट, श्रीनगर व पौरी गढ़वाल इलाके में इस प्रकार की मशीन संतोषजनक काम कर रही है। यह भी सलाह दी गयी है कि सरकार या निजी उद्यमी द्वारा बर्बाद प्लास्टिक बैग को इकट्ठा करने के बाद उसे बेचने के लिए उचित मूल्य का निर्धारण होना चाहिए। ताकि प्लास्टिक चुनने व उसे खरीदने के काम को प्रोत्साहित किया जा सके।

First Published - June 30, 2008 | 9:45 PM IST

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