पंजाब सरकार ने राज्य में चल रही अपनी 15 सहकारी चीनी मिलों का पुनरुद्धार करने का निर्णय लिया है।
इस बारे में राज्य कैबिनेट के समक्ष चीनी मिलों के हालात को सुधारने के लिए 865 करोड़ रुपये की निवेश वाली एक योजना का खाका पेश किया है। इस योजना के अंतर्गत राज्य की चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना, मिलों का तकनीकी विकास करना व पीपीपी के तहत सह-उत्पादन इकाई को स्थापित किया जाएगा।
इसके अलावा राज्य में निजी क्षेत्र की बंद पड़ी 6 चीनी मिलों और डिस्टलरिस को पट्टे पर देने की योजना है। इस योजना को राज्य के सहकारी मंत्री कैप्टन कंवलजीत सिंह की मंजूरी प्राप्त हो गई। अब इस प्रस्ताव को राज्य की केबिनेट की मंजूरी मिलने का इंतजार है।
राज्य के आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि इस योजना से मिलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा। सिंह ने इससे पहले ही कहा है कि राज्य में किसानों के लिए गन्ने का न्यूनतम खरीद मूल्य निर्धारण पीपीपी के द्वारा ही किया जा सकता है।
राज्य की सभी 15 मिलों की उत्पादन क्षमता 28,266 टन प्रति दिन है। इसके अलावा राज्य में चल रही 9 चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता 15,766 टन प्रति दिन है। इन चीनी मिलों में प्रस्तावित पुनरुद्धार योजना के शुरु हो जाने के बाद इन 9 चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता लगभग 5 हजार टन प्रति दिन बढ़ जाएगी।
राज्य में चल रही अभी इन 9 चीनी मिलों में पीपीपी मॉडल के तहत सह-उत्पादन संयंत्र स्थापित किये जाएंगे। इसके लिए 675 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। सूत्रों का कहना हे कि इन सह-उत्पादन संयंत्रों को स्थापित करने से 150 से 180 मेगावाट बिजली को पैदा किया जा सकेगा। प्लांटो में पैदा की गई इस बिजली को राज्य के बिजली विभाग को बेच दी जाएंगी।
वित्त वर्ष 2006-07 में पंजाब की 15 गन्ना मिलों ने 240 करोड़ रुपये कारोबार किया था। इसमें चीनी मिलों को 55 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। खास बात यह है कि पिछले वित्त वर्ष का परिणाम अभी घोषित किया जाना बाकी है। लेकिन आकलन किया जा रहा है कि इस बार राज्य की चीनी मिलों ने लगभग 350 करोड़ रुपये का कारोबार किया है और चीनी मिलों को होने वाला घाटा लगभग 70 करोड़ रुपये है।
चीनी मिलों को होने वाले घाटे के ऊपर किसी भी तरह की टिप्पणी से बचते हुए सूत्रों ने कहा कि पंजाब में प्रति क्विंटल गन्ने का मूल्य 132 रुपये अदा करना पड़ता है। जबकि केन्द्र सरकार द्वारा प्रति क्ंविटल गन्ने का मूल्य 81.18 रुपये तय किया गया है।
इस हिसाब से पंजाब के उद्यमियों को पचास फीसदी ज्यादा गन्ने का मूल्य अदा करना पड़ रहा है। राज्य में ऐसा तब हो रहा है जब पंजाब में गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने की बात की जा रही है। यह नहीं पंजाब में गन्ने की रिकवरी दर सिर्फ 9 फीसदी है जबकि सामान्य तौर पर यह आंकड़ा 12- 13 फीसदी है।