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नार्वे के बाद देहरादून में बनेगा भू-तकनीकी केंद्र

Last Updated- December 07, 2022 | 9:43 PM IST

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) देहरादून में अत्याधुनिक राष्ट्रीय भू-प्रौद्योगिकी केंद्र (एनजीएफ) की स्थापना कर रहा है। 15 करोड़ रुपये लागत वाले इस केंद्र की स्थापना से भारत में ढांचागत परियोजना के काम में तेजी आएगी।

नार्वे के बाद यह दुनिया की दूसरी ऐसी इकाई होगी जहां देश-विदेश की कंपनियां खुदाई, पनबिजली परियोजना, सुरंग, पुल, एक्सप्रेसवे और हाईवे परियोजनाओं से जुड़े परीक्षण कर सकेंगी।

नया केंद्र सरकारी और निजी क्षेत्र, दोनों के लिए खुला है। विशेषज्ञों का कहना है कि नए केंद्र से पनबिजली परियोजना के क्षेत्र में सबसे अधिक फायदा मिलेगा। पूरे हिमालय क्षेत्र में इस समय बड़ी संख्या में पनबिजली परियोजनाओं का विकास किया जा रहा है।

यह भी उल्लेखनीय है कि हिमालय भूकंप संभावित क्षेत्र है। अगले साल भारत की यात्रा पर आ रहे नार्वे के प्रधानमंत्री जेंस स्टोलटेनबर्ग एक केंद्र का उद्धाटन करेंगे। भारत के सर्वेयर जनरल पी नाग ने बताया कि ‘हमें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि भू-प्रौद्योगिकी शोध, सूचना और सलाहकार सेवा से जुड़े नए विश्वस्तरीय संस्थान की स्थापना देहरादून में की जाएगी।’

नाग ने बताया कि शुरुआत में एक साल तक सर्वे ऑफ इंडिया केंद्र का संचालन करेगा। इस केंद्र की स्थापना राष्ट्रीय भूप्रौद्योगिकी संस्थान (एनजीआई) की सहायता से की जा रही है। एनजीआई के पास एक सरकारी विशेषज्ञ के तौर पर भूस्खलन से जुड़े सुरक्षा मसलों की भी जिम्मेदारी है।

नाग ने बताया कि एक साल के बाद नया केंद्र आत्मनिर्भर और पूरी तरह से स्वायत्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस संयंत्र का उद्देश्य देश के ढांचागत निर्माण के क्षेत्र में बेहतर तकनीकी, सुरक्षा और वाजिब कीमत के लक्ष्य को हासिल करना है। एनजीएफ नए संस्थान को जमीन के इस्तेमाल, आधारभूत इंजीनियरिंग, रिफोर्समेंट तकनीक, स्लोप स्टेबिलिटी, भू-ऊर्जा और अन्य मसलों पर तकनीकी दक्षता हासिल करने में मदद करेगा।

नए केंद्र को देहरादून के ऐतिहासिक ‘पुंछ हाउस’ में बनाया जाएगा।



 

First Published - September 18, 2008 | 9:08 PM IST

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