देश के पहले कार्गो हवाईअड्डे को मध्य प्रदेश में विकसित किया जाएगा।
इस कार्गो हवाईअड्डे को राज्य सरकार और ग्वालियर चीनी कंपनी लिमिटेड (जीएससीएल) की सहायक कंपनी ग्वालियर कृषि कंपनी लिमिटेड (जीएसीएल) का संयुक्त उपक्रम विकसित करेगा।
इस बाबत नागरिक विमानन सचिव की अध्यक्षता और सभी मंत्रालयों और संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों वाली संचालन समिति ने इस परियोजना को सिध्दांतत: मंजूरी दे दी है।
ग्वालियर से 42 किलोमीटर दूर स्थित डाबरा में बनने वाले इस हवाईअड्डे के विकास के लिए भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण और नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से मंजूरी मिलनी बाकी है।
जीएसीएल और राज्य सरकार की योजना अंतरराष्ट्रीय कार्गो हवाईअड्डा विकसित करने की है जिसमें एक विशेष आर्थिक क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा।
कंपनी के सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस परियोजना को विकसित करने के लिए संयुक्त उपक्रम ने मंजूरी दे दी है और अब एएआई और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया के लिए इंतजार कर रहे हैं।’ संचालन समिति विभिन्न साझेदारों के साथ समन्वय स्थापित करेगी।
राज्य सरकार ने सीलिंग ऐक्ट के तहत जब्त की गई 3000 हेक्टेयर भूमि के खिलाफ इक्विटी साझेदार के रूप में कंपनी के साथ हाथ मिलाया है।
हालांकि अब राज्य सरकार ने मामले को वापस ले लिया है। राज्य परियोजना क्लीयरेंस और कार्यान्वयन बोर्ड (पीसीआईबी) ने सैध्दांतिक रूप से परियोजना को पहले ही मंजूरी दे चुका है।
यह दावा किया जा रहा है कि यह परियोजना 6000 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करेगी। कंपनी ने सिंगापुर आधारित कंसल्टेंट जुरंग इंटरनेशनल के साथ हाथ मिलाने के लिए भी प्रस्ताव भेजा है। यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस परियोजना को 2010 तक पूरा कर लिया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि कंपनी द्वारा राज्य सरकार को शुरुआत में सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि परियोजना को 15000 करोड़ रुपये (अब 20,000 करोड़ रुपये) निवेश के साथ पूरा कर लिया जाएगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय कार्गो हवाईअड्डे को 800-1000 करोड़ रुपये निवेश के साथ पूरा कर लिया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक इस परीयोजना को चार चरणों में पूरा किया जाना है। पहले चरण में विमानन सुविधाओं को विकसित किया जाएगा, दूसरे चरण में एयर-कार्गो और लॉजिस्टिक केंद्रों और तीसरे चरण में औद्योगिक और एग्रो प्रोसिसिंग पार्क को विकसित किया जाएगा।
जबकि चौथे चरण में टाउनशिप, चिकित्सा पर्यटन, जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय व मनोरंजन केंद्रों का विकास किया जाएगा।