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नवी मुंबई हवाईअड्डा परियोजना से विस्थापित परिवारों का पुनर्वास बाकी

Last Updated- December 12, 2022 | 6:35 AM IST

नवी मुंबई हवाईअड्डा परियोजना से प्रभावित लोगों को अब भी अपने मुआवजे का इंतजार है और उनके घर अब भी हवाईअड्डा स्थल पर मौजूद हैं।
सिडको की यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना 17 हजार करोड़ रुपये की लागत से पूरी होनी है। परियोजना के लिए 10 गांवों के लोगों को अपना घर छोडऩा पड़ा। इनमें कोंबड भुजे और उलवे गांव में किसी-किसी परिवार का पुनर्वास अब भी नहीं हुआ है। सिडको ने गांव वालों को भूखंड और बाकी सुविधा देकर उनका पुनर्वास किया है। बाकी कुछ सुविधाएं दी जानी बाकी हैं।
कोविड-19 महामारी में भी हवाईअड्डा स्थल पर काम जारी था। उलवे नदी का मोड़, पहाड़ काटने का काम अधिक जोरों पर है। रीनांदाई माता चार गांव पुनर्वास समिति के अध्यक्ष प्रशांत भोईर ने कहा कि दो साल से हम इसमें लगे हैं। ठाकरे समिति में सुनवाई हुई थी। उसके बाद सुबोध भावे समिति आई। लोगों की समस्यायों का निवारण करने के लिए ये समिति बनी थी। घर के बाहर का हिस्सा भी मिलना चाहिए। घर की वीडियो बनाई गई थी जिसे भावे समिति के सामने रखा गया। यहां उलवे, कोंबड भुजे, तरघर गांव हैं। हमारे लोगों की मांग है कि भावे समिति का फैसाल सामने लाया जाए। लोगों को जो भूखंड मिले हैं, वह घर के हिसाब से कम है। हमारी जो मांग है, हमें वही चाहिए। बाकी सुविधाएं तो बाद में मिल जाएंगी।
सिडको अधिकारियों का कहना है कि 99 फीसदी पुनर्विकास का काम हुआ है। लॉकडाउन के दौरान सिडको अपना काम कर रही थी और अब भी जोर शोर से काम चालू है। कोविड महामारी से परियोजना लागत में वृद्वि नहीं हुई है। परियोजना में उलवे नदी का मोड़, पहाड़ की कटाई, हवाईअड्डा स्थल समतल करना, टाटा पॉवर लाइन का स्थानांतरण आदि शामिल है।
रीनांदाई माता चार गांव समिति के सचिव और कोंबड भुजे के निवासी विजय भगत ने कहा की सिडको ने हमे भूखंड दिया है। हमारी मांग थी कि पूरे कोंबड भुजे के लोगों को एक ही जगह पर स्थानांतरण किया जाए, लेकिन मुझे दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया। उलवे नोड में ही सबको जगह दी जानी चाहिए थी। अब भी 40 घरों का स्थानांतरण किया जाना बाकी हैं। जिन लोगों का स्थानांतरण हुआ है, उन्हें भी वहां कुछ सुविधाएं नहीं मिली हैं। पहले पुनर्वास करना चाहिए था, उसके बाद काम शुरू करना चाहिए था।

First Published - March 27, 2021 | 12:43 AM IST

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