अशोक गहलोत की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को अपेक्षा के ही अनुरूप विश्वास मत आसानी से हासिल कर लिया। इस दौरान दोनों पक्षों से शिकायती लहजे में कड़वाहट से भरे भाषण भी सुनने को मिले।
गहलोत के खिलाफ एक महीने पहले बागी तेवर अख्तियार करने के बाद संघर्ष-विराम के लिए मान गए सचिन पायलट ने इशारों-इशारों में अपने मन की पीड़ा बयां की। उप मुख्यमंत्री के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटाए जा चुके पायलट ने कहा, ‘जब मैं सदन में आया तो देखा कि मेरी सीट बदल दी गई है। विपक्ष के पास अपनी सीट देखकर मुझे ताज्जुब हुआ। पहले मैं सत्ता पक्ष की तरफ बैठता था तो सुरक्षित महसूस करता था लेकिन अब मैं विपक्ष के करीब हूं। फिर मुझे अहसास हुआ कि मुझे सरहद पर भेज दिया गया है। वैसे सबसे बहादुर एवं मजबूत योद्धा ही सरहद पर भेजा जाता है।’ अपने बागी तेवर जल्द ढीले पडऩे के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे एवं मेरे दोस्तों को जो कुछ भी कहना था या करना था, हमें उसका रास्ता मिल गया है। हमने दिल्ली में एक डॉक्टर से सलाह ली है और अब लौट आए हैं। हम एकसाथ खड़े हैं।’
पायलट का इशारा दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से हुई मुलाकात की ओर था। कांग्रेस नेतृत्व ने ‘बागी’ नेताओं की शिकायत पर गौर करने के लिए एक समिति बनाने पर सहमति जताई है। विपक्ष के नेता भाजपा के गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि पायलट को मनरेगा में इतना अच्छा काम करने के बावजूद पार्टी से बाहर कर दिया गया था। इस पर पायलट ने कहा, ‘हमारे अंदरूनी मसले को हम पर ही छोड़ दीजिए। आप विश्वास मत पर ही ध्यान दें।’
हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत ने साथी विधायकों के ‘धोखे’ का जिक्र नहीं किया लेकिन उन्होंने भाजपा और राज्यपाल कलराज मिश्रा पर निशाना जरूर साधा। गहलोत ने कहा, ‘राज्यपाल के पद ने अपनी गरिमा खो दी है। मुझे लगता है कि राज्यपाल दबाव में काम कर रहे थे। राज्यपाल का काम सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहने से अधिक नहीं है।’
उन्होंने भाजपा पर मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया। इसके लिए उन्होंने सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं के फोन भी टैप किए गए हैं। हालांकि भाजपा ने गहलोत सरकार के खिलाफ रखा अविश्वास प्रस्ताव वापस ले लिया लेकिन उसके पहले अपनी बात रखी। नेता विपक्ष कटारिया ने कहा, ‘हमारी वजह से आपको चोट नहीं लगी है। आपको घाव अपने घर की लड़ाई में लगे हैं और अब हमें दोषी ठहरा रहे हैं। भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है।’ विश्वास मत मिलने के साथ ही राजस्थान का सियासी संकट फिलहाल दूर हो गया है। लेकिन सरकार और पार्टी के भीतर अविश्वास का माहौल दूर करने के लिए प्रयास करने होंगे। मंत्रिमंडल के रिक्त पद भरने पर चर्चा के लिए गहलोत जल्द केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं।
