टाटा स्टील के कलिंगनगर परिसर ने आज अपने परिचालन के 10 वर्ष पूरे कर लिए। इसमें लगभग 50,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। यह कंपनी के इतिहास में आंतरिक स्तर पर सबसे बड़ा क्षमता विस्तार है। यह विस्तार और भी बढ़ेगा क्योंकि इस्पात विनिर्माता की नजर भविष्य में 1.6 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता पर है। कंपनी ने कहा कि टाटा स्टील कलिंगनगर (टीएसके) की स्थापना का टाटा स्टील के इतिहास में विशिष्ट स्थान है।
कई वर्षों से ओडिशा के समृद्ध खनिज संसाधन मुख्य रूप से जमशेदपुर में उसके संयंत्र के लिए कच्चे माल के स्रोत के रूप में काम करते रहे हैं जो इस्पात कंपनी का सौ साल पुराना संयंत्र है।
कंपनी ने कहा कि टीएसके ने बड़े स्तर पर इस्पात उत्पादन को सीधे ओडिशा में लाकर इस आयाम को मौलिक रूप से बदल दिया है। साल 2015 में शुरू की गई 30 लाख टन प्रति वर्ष की प्रारंभिक क्षमता के बाद से टाटा स्टील कलिंगनगर (टीएसके) ने सितंबर 2024 में भारत की सबसे बड़ी ब्लास्ट फर्नेस चालू करके अपनी क्षमता का विस्तार 80 लाख टन प्रति वर्ष तक कर लिया।
टीएसके के एक दशक के सफर पर टिप्पणी करते हुए टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी टीवी नरेंद्रन ने कहा, ‘टाटा स्टील में हम सभी के लिए कलिंगनगर की हमारे दिलों में काफी खास जगह है। यह ऐसे नए युग का प्रतिनिधित्व करता है, जहां हमने भारतीय विनिर्माण के लिए जीवंत खाका तैयार करते हुए सदी के अनुभव को भविष्य के दृष्टिकोण के साथ जोड़ा।’