गुजरात सरकार ने राज्य में बुनियादी बिजली सुविधाओं से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पंहुचाने और अन्य क्षेत्रों में बिजली के वितरण को सुगम बनाने के लिए एक सहकारी मॉडल को विकसित करने की योजना बनाई है।
गुजरात सरकार एक राष्ट्रीय योजना के तहत एनजीओ, उपभोक्ता एसोसिएशन, सहकारी और निजी उद्यमियों के अलावा पंचायती संस्थाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली वितरण करने वाली फ्रेंचाइजी के तौर पर विकसित करेगी।
इस योजना के लिए विभिन्न सलाहकारों की मदद से एक विस्तृत रिर्पोट को तैयार किया गया है। गुजरात सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि गुजरात में सहकारी संस्थाओं का आधार काफी अच्छा है। इसलिए इस तरह के मॉडल को अपनाने में आसानी रहेगी। ऊर्जा मंत्रालय के आकड़ों के हिसाब से गुजरात के 58.85 लाख घरों में से 29 फीसदी (लगभग 16.40लाख) घरों में लोग आज भी बिजली कनेक्शन नहीं मिल पाने के कारण अंधेरे में जीने को मजबूर है।
लोगों की बिजली समस्याओं को देखते हुए राज्य में पहले से ही ज्योतिग्राम योजना और राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को क्रियान्वित किया जा चुका है। गुजरात सरकार ने अगले पांच साल के भीतर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की बुनियादी सुविधाओं को पंहुचाने के साथ-साथ राज्य के प्रत्येक घर में बिजली पंहुचाने की योजना बनाई है।
सरकार के एक अधिकारी ने बताया है कि इस योजना में 11 किलोवाट वाले 66 सबस्टेशनों को ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा गांवो के प्रत्येक घर में बिजली के कनेक्सन देने के साथ-साथ अतिरिक्त बिजली की उपलब्धता वाले ट्रांसफार्मरों को भी स्थापित किया जाएगा।
इस योजना को न्यावाहरिक रुप देने के लिए सरकार का शुरुआती लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में फ्रेंचाइजी को स्थापित करना होगा। श्वेत क्रांति के जनक वर्गीस कुरीयन ने 80 के दशक में इस तरह के मॉडल का सुझाव दिया था। शुरुआती दौर में इस मॉडल में एक गांव में एक मीटर को स्थापित करने की योजना बनाई गई थी।