बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को निर्देश दिया कि वह महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्तपरमबीर सिंह द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार एवं कदाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच 15 दिन के भीतर करे। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद देशमुख ने पद से इस्तीफा दे दिया। अब गृहमंत्री का पद दिलीप वलसे पाटिल संभालेंगे। देशमुख की सीबीआई जांच के निर्देश को राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी में है।
वसूली के आरोप में घिरे देशमुख इस्तीफा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को देने के बाद दिल्ली रवाना हो गए। देशमुख के करीबियों का कहना है कि वह उच्चतम न्यायालय में गुहार लगाएंगे। देशमुख ने इस्तीफे में लिखा कि सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है। इसलिए वह नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं। उनके इस्तीफे के बाद राकांपा नेता एवं आबकारी एवं श्रममंत्री मंत्री दिलीप वलसे पाटिल को गृह विभाग की जिम्मेदारी दिये जाने की कवायद शुरु हो गई है।
राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद देशमुख ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की और त्यागपत्र देने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि उन्हें लगा कि सीबीआई जांच के आदेश के बाद पद पर बने रहना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि देशमुख ने पद छोडऩे के लिए पवार से हरी झंडी मिलने के बाद ठाकरे को इस्तीफा सौंपा। मलिक ने कहा कि सिंह के आरोप निराधार हैं, सच्चाई सामने आएगी। राज्य सरकार आरोपों पर पहले ही एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने का आदेश दे चुकी है लेकिन हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि देशमुख के इस्तीफे के बाद गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास रहेगा जो महा विकास आघाडी के घटक दलों से विमर्श करने के बाद निर्णय करेंगे कि राज्य का नया गृह मंत्री कौन होगा।
देशमुख के इस्तीफे के साथ राज्य की राजनीति एक बार फिर गरमा गई। विपक्ष ने सरकार पर चौतरफा हमला करते हुए मुख्यमंत्री से जवाब मांगना शुरु कर दिया। भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि देशमुख के इस्तीफे की उम्मीद थी और उनके पास कोई और विकल्प नहीं था। उन्हें पहले दिन ही नैतिकता याद करनी चाहिए थी जब आरोप लगाए गए थे। फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री चुप क्यों हैं, उनकी चुप्पी बेचैन करने वाली है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देशमुख ने त्यागपत्र दे दिया है और सीबीआई जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे। सीबीआई की प्रारंभिक जांच के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे। विपक्षी हमलों के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र आघाडी सरकार उच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करेगी और फिर अपना पक्ष रखेगी। उन्होने कहा कि कोई भी जांच एजेंसी भगवान का अवतार नहीं है। मामला राजनीतिक है। आदेश पर गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है जिसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे या उनकी ओर से सरकार से कोई टिप्पणी करेंगे।
परमवीर सिंह ने 25 मार्च को देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए आपराधिक जनहित याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि गृह मंत्री ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे सहित अन्य पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तरांओं से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था। मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्त और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी के खंडपीठ ने कहा कि यह असाधारण और अभूतपूर्व मामला है जिसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। पीठ ने सीबीआई को प्रारंभिक जांच 15 दिन के भीतर पूरी करने और आगे की कार्रवाई पर फैसला लेने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इनमें एक याचिका खुद सिंह ने जबकि दूसरी याचिका शहर की वकील जयश्री पाटिल और तीसरी याचिका शिक्षक मोहन भिडे ने दायर की थी।