दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में जल प्रदूषण फैलाने का कारण बन रही इकाइयों को थोड़ी सी राहत मिली है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने इन इकाइयों को पहले भेजे इन्हे बंद करने के नोटिस (क्लोज़र नोटिस) से राहत दी है अब इन इकाइयों को बंद करने के नोटिस की बजाए कारण बताओ (शो कॉज) नोटिस जारी करने का निर्णय लिया है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यमुना में फैल रहे जल प्रदूषण को देखते हुए डीपीसीसी ने जल प्रदूषण का कारण बन रही दिल्ली की ऐसी जल से संबंधित इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में जबाव मांगा था, जो यमुना में जल प्रदूषण फैला रही हैं। इसके बाद डीपीसीसी ने जल प्रदूषण का कारक बन रही औद्योगिक इकाइयों की जांच की। दिल्ली में 13 कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से 17 औद्योगिक क्षेत्रों की ऐसी इकाइयां जुड़ी है जिनसे जल अपशिष्ट निकलता है। डीपीसीसी ने इन इकाईयों से निकलने वाले जल के नमूने लेकर जांच की। जिसमें करीब 1100 इकाईयां के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे थे। इसलिए डीपीसीसी ने इन इकाइयों को बंद करने के नोटिस भेजे थे। जिसका उद्यमियों ने विरोध किया था और डीपीसीसी से राहत देने की मांग की थी।
अब डीपीसीसी ने मानकों पर खरी नहीं उतरने वाली इकाइयों को राहत देते हुए क्लोज़र नोटिस को शो कॉज (कारण बताओ) नोटिस में बदल दिया है। साथ ही डीपीसीसी ने उद्यमियों से कहा है कि इन इकाइयों की अब रेंडमली जांच की जाएगी, जिसमें सीईटीपी से जुड़ी इकाइयों के मानकों पर खरा नहीं उतरने पर उनके खिलाफ बंदी की कार्रवाई की जाएगी।
पटपड़गंज आंत्रप्रेन्योर एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक संजय गौड़ के कहा कि क्लोज़र नोटिस के शो कॉज नोटिस में तब्दील होने से उद्यमियों को बड़ी राहत है। अब उद्यमियों को गलती सुधारने का भी मौका मिल गया है और उन पर फैक्ट्री बन्द होने का खतरा भी टल गया है।