दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में साझा सुविधा केंद्र (सीएफसी) खोलने की तैयारी शुरू हो चुकी है। ये सीएफसी केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय की स्कीम के तहत खुलेंगे। दिल्ली सरकार इनके लिए जमीन देने को तैयार हो गई है। उद्यमियों ने भी सीएफसी में रुचि दिखाना शुरू कर दिया है। एमएसएमई मंत्रालय की सीएफसी खोलने की योजना के तहत प्लांट व मशीनरी पर निवेश के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान है।
इसमें से 18 करोड़ मंत्रालय और 2 करोड़ रुपये उद्यमी स्वयं जुटाते हैं। बाकी खर्च भी उद्यमी उठाएंगे।
दिल्ली में सीएफसी की जिम्मेदारी संभाल रही दिल्ली राज्य औद्योगिक व अवसंरचना विकास निगम (डीएसआइआइडीसी) के एक अधिकारी ने बताया कि बादली में सीएफसी के लिए 2500 वर्ग मीटर जमीन आवंटित कर दी गई है। अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी सीएफसी के लिए जमीन देने की योजना है। बादली इंडस्ट्रियल एस्टेट के महासचिव रवि सूद ने बताया कि दिल्ली में बादली में पहला सीएफसी खुलने जा रहा है।
ऑटो पार्टस और लाइट इंजीनियरिंग उत्पादों के लिए खुलने वाले इस सीएफसी पर करीब 28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें 18 करोड एमएसएमई मंत्रालय देगा और बाकी पैसा उद्यमी जुटाएंगे। सीएफसी में सहयोग देने के लिए अब तक 41 उद्यमी तैयार हो चुके हैं। सूद ने कहा कि सीएफसी के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली गई और अगले सप्ताह इसे डीएसआइआडीसी को सौंप दिया जाएगा। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अगले 18 महीने में यह सीएफसी बनकर तैयार हो जाएगा। बवाना चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रकाश चंद जैन ने कहा कि बवाना के उद्यमी 6 से 7 सीएफसी खोलना चाहते हैं। चैंबर की तरफ से प्रिंटिंग व पैकेजिंग, इंजेक्शन मोल्डिंग, इलेक्ट्रिकल ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स, शीट मेटल, फूड प्रोसेसिंग आदि विनिर्माण इकाइयों के उद्यमियों से सीएफसी में भागीदार बनने के लिए चर्चा की जा रही है। एक सीएफसी में कम से कम 20 उद्यमियों की शेयर होल्डिंग जरूरी है। सीएफसी में ऐसी विशेष मशीनें होंगी, जिनको एक छोटे उद्यमी के लिए खरीदना आर्थिक रूप से आसान नहीं है।
सीएफसी में प्रशिक्षण, टेस्टिंग लेब व कच्चे माल की भी सुविधा होगी। सीएफसी के माध्यम से उदयमी कम कीमत पर उत्पादों को तैयार करवा सकेंगे।