सस्ते चावल और नमक के नाम पर दोबारा सत्ता हासिल करने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के सामने नए साल में सबसे बड़ी चुनौती सबके लिए दो वक्त की रोटी मुहैया कराने की है।
इसके अलावा नक्सली हिंसा पर काबू पाना, खनिज संसाधनों का बेहतर प्रबंधन, उद्योगों के लिए बेहतर नीतियों का निर्माण और छोटे उद्यमियों को वित्तीय राहत जैसे मुद्दे सरकार के एजेंडे में शामिल होंगे।
राज्य के उत्तरी क्षेत्र सरगुजा और दक्षिणी क्षेत्र बस्तर समेत 12 जिलों में फैली नक्सली समस्या ने राज्य को विकास के मामले में अन्य राज्यों से पीछे कर दिया है।
हालांकि रमन सिंह ने उद्यमियों और निवेशकों को आश्वासन दिया है कि कानून व्यवस्था की स्थिति को सामान्य बनाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।
सरकार के लिए जमीन अधिग्रहण की समस्या भी सिरदर्द बनी रहेगी। किसानों के विरोध के कारण बस्तर क्षेत्र में टाटा स्टील और एस्सार स्टील की परियोजनाएं शुरू नहीं हो सकी हैं।
हालांकि सरकार ने कहा है कि वह उद्योगों के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण नहीं करेगी। नए साल में कुछ चुनावी वादे सरकार के लिए मुश्किलों का सबब बन सकते हैं। विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने कहा था कि अगर वह दोबारा सत्ता में आती है तो किसानों को बिना ब्याज के कर्ज दिया जाएगा।
अब रमन सिंह सत्ता में हैं लेकिन मौजूदा वित्तीय हालत में इस वादे को पूरा करना आसान नहीं होगा। छत्तीसगढ़ में स्पंज आयरन इकाइयों को कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है। मांग में कमी आने के कारण ढलाई उद्योग भी हलकान है। ऐसे में उद्योग सरकार से राहत की गुहार लगा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ ने इस बार पड़ोसी राज्यों के मुकाबले बेहतर कीमत पर धान खरीदने की घोषणा की है। राज्य में धान खरीद पर 270 रुपये प्रति क्ंविटल की दर से बोनस दिया जा रहा है। पड़ोसी राज्यों से किसान धान बेचने के लिए छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। इस साल राज्य में धान की खरीद अच्छी रहने की उम्मीद है।
छत्तीसगढ़ 2009
राज्य के उत्तरी क्षेत्र सरगुजा और दक्षिणी क्षेत्र बस्तर समेत 12 जिलों में फैली नक्सली समस्या से निपटने की चुनौती।
खनिज संसाधनों का बेहतर प्रबंधन, उद्योगों के लिए बेहतर नीतियों का निर्माण और छोटे उद्यमियों को वित्तीय राहत जैसे मुद्दे सरकार के एजेंडे में शामिल।
उद्योगों के लिए जमीन अधिग्रहण होगा बड़ा मुद्दा।
किसानों को बिना ब्याज कर्ज मुहैया करने के चुनावी वादे को हकीकत में बदलने की चुनौती।
स्पंज आयरन और दूसरे छोटे उद्योग मांग में कमी और कच्चेमाल की कमी से जूझ रहे हैं।