लौह अयस्क की बढ़ती कीमतों की वजह से छत्तीसगढ़ में स्पंज लोहे की कई इकाइयां बंदी की कगार पर हैं।
छत्तीसगढ़ स्पंज लोहा निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बिानेस स्टैंडर्ड से कहा कि, ‘राज्य की 90 स्पंज लोहे की इकाइयों में से 30 फीसदी तो पहले से ही बंद है। शेष में उत्पादन 50 फीसदी तक कम हो गया है।
अगर यही दौर चलता रहा, तो 10 नवंबर तक बची हुई 70 फीसदी इकाइयां भी हमेशा के लिए बंद हो जाएंगी।’ ये इकाइयां राज्य में सालाना 80 लाख स्पंज लोहे का उत्पादन करती है। नचरानी ने कहा कि इन इकाइयों से 150 छोटे इस्पात प्लांट और 200 रॉलिंग मिलों का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है।
राज्य की स्पंज लोहा बनाने वाली इन इकाइयों ने राष्ट्रीय खनिज विकास कॉरपोरशन (एनएमडीसी) की नई कीमतों को भी नकार दिया था, जिसके तहत लौह अयस्क की कीमतों को 1 अप्रैल से 40 फीसदी महंगा कर दिया गया था।
स्थानीय स्पंज लोहा बनाने वाली इकाइयां एनएमडीसी से ही कच्चा माल खरीदती हैं। मालूम हो कि एनएमडीसी की दो इस्पात खदान छत्तीसगढ़ बैलाडिला और दंतेवाड़ा में हैं। इसके अलावा जहां इन इकाइयों द्वारा 40 लाख टन कच्चे इस्पात की मांग होती है, वहां मात्र 30 लाख टन की ही आपूर्ति की जाती है।