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सर्वाइकल कैंसर के टीके को 2023 में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा:एनटीएजीआई प्रमुख

Last Updated- December 14, 2022 | 4:13 PM IST

सर्वाइकल कैंसर के टीके को 2023 में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा:एनटीएजीआई प्रमुख
PTI / नयी दिल्ली  December 14, 2022

14 दिसंबर (भाषा) भारत 2023 के मध्य तक राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत 9-14 आयु वर्ग की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर के स्वदेश विकसित ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (एचपीवी) को लागू करने की स्थिति में होगा। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष डॉ एन. के. अरोड़ा ने यह जानकारी दी।

एचपीवी पर दक्षिण एशिया बैठक के इतर एसआईआई में सरकारी और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने बताया कि सेरवावैक वैक्सीन को अगले साल अप्रैल में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा प्रस्तुत किए जाने की संभावना है और यह बाजार में उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय टीकों की तुलना में बहुत कम कीमत पर उपलब्ध होगा।

डॉ अरोड़ा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि टीके को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) की मंजूरी मिल गई है और इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में इस्तेमाल के लिए सरकारी सलाहकार समूह एनटीजीआई ने मंजूरी दे दी है।

मौजूदा समय में देश इस टीके के लिए पूरी तरह से विदेशी निर्माताओं पर निर्भर है। तीन विदेशी कंपनियां एचपीवी टीके का निर्माण करती हैं, जिनमें से दो कंपनियां भारत में अपने टीके बेचती हैं। बाजार में उपलब्ध टीके की प्रत्येक खुराक की कीमत 4,000 रुपये से अधिक है।

एसआईआई के टीके काफी कम दर पर उपलब्ध होने की संभावना है। सितंबर 2022 में, एसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार सी पूनावाला ने कहा था कि भारत में एचपीवी टीके 200-400 रुपये प्रति खुराक की सस्ती कीमत पर उपलब्ध होगी।

भारत में दुनिया की लगभग 16 प्रतिशत महिलाएं हैं और यहां सर्वाइकल कैंसर के सभी मामलों का लगभग एक चौथाई है तथा वैश्विक स्तर पर यहां सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर) से लगभग एक तिहाई मौतें होती हैं। हाल के कुछ अनुमानों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 80,000 महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर होता है और 35,000 महिलाओं की इस कैंसर के कारण मृत्यु हो जाती है।

भारत अब तक एचपीवी टीका क्यों नहीं बना पाया, इस पर डॉ अरोड़ा ने कहा कि टीके की आपूर्ति विश्व स्तर पर एक सीमित कारक रही है। पिछले पांच वर्षों में, एचपीवी टीके की वैश्विक आपूर्ति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। भारत ने इस दिशा में पहल की है। प्रमुख भारतीय टीका निर्माताओं में से एक एसआईआई ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से चार वैलेंट एचपीवी वैक्सीन विकसित किया है।

टीके को नियामक मंजूरी मिल चुकी है और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में इस्तेमाल के लिए एनटीएजीआई द्वारा अनुमति दे दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें जानकारी मिली है कि तीन अन्य भारतीय टीका निर्माता भी एचपीवी टीका विकसित करने के विभिन्न चरण में हैं।’’

एक सवाल के जवाब में डॉ अरोड़ा ने कहा कि एचपीवी संक्रमण को रोकने के लिए टीके 2006 से उपलब्ध हैं। अनुशंसित उम्र में इसकी खुराक दिये जाने पर एचपीवी टीकाकरण 90 प्रतिशत से अधिक एचपीवी कैंसर को रोक सकता है। भारत में किए गए अध्ययनों ने संकेत दिया है कि एचपीवी टीके की एकल खुराक की प्रभावकारिता 95 प्रतिशत से अधिक है।

अध्ययनों के आधार पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अब सिफारिश की है कि 9-14 वर्ष के बच्चों के लिए टीके की एक खुराक भी प्रभावी है।

वर्ष 2021 तक वैश्विक एचपीवी टीकाकरण कवरेज केवल 13 प्रतिशत था। वहीं, 2020 तक, कम और निम्न-मध्यम आय वाले एक तिहाई से भी कम देशों ने अपने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों में एचपीवी टीके की शुरुआत की थी।

भाषा आशीष सुभाष

First Published - December 14, 2022 | 10:43 AM IST

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