बिहार में बाढ़ की वजह से सड़क, कृषि, लोगों की आजीविका सब प्रभावित हुई, जिसे दुरुस्त करना नए साल में भी राज्य सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होगी।
साल के उत्तरार्द्ध में मुंबई में उत्तर भारतीयों पर किए गए हमलों से पूरा बिहार जल उठा। मुंबई सहित महाराष्ट्र में रहने वाले बिहार के लोगों की रोजी-रोटी का संकट छा गया।
लेकिन सुकून की बात यह है कि 26 नवंबर को हुए मुंबई आतंकी हमले से क्षेत्रीयता की भावना पर विराम लग गया और उम्मीद की जा रही है कि 2009 में मराठी ‘मानुष बनाम उत्तर भारतीय’ मुद्दा ठंडे बस्ते में ही रहेगा।
आगे क्या होगा
बाढ़ राहत का काम 2009 में भी तेजी से जारी रहेगा। राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव प्रत्यय अमृत ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘बाढ़ के समय सबसे बड़ी चुनौती आश्रय की होती है।
इसके लिए बहुद्देश्यीय कम्युनिटी हॉल बनाने की योजना प्रस्तावित है, जिसमें लोगों के 10-15 दिनों तक रहने के इंतजाम के साथ-साथ अनाज के संग्रहण की भी व्यवस्था की जाएगी। बाढ़ प्रभावित प्रखंडों के लिए कम से कम 5 मोटर बोट खरीदने की योजना है।’
उन्होंने बताया कि निरीक्षण और तत्काल सुविधा प्रदान करने के लिए एक हेलीकॉप्टर खरीदने की भी योजना बनाई जा रही है। जहां तक बुनियादी ढांचा विकास की बात है, तो इसके तहत स्कूल-कॉलेज, भवनों, इंदिरा आवास और सड़कों के निर्माण के लिए पूरी परियोजना रपट बना ली गई है। ये सारी योजनाएं नए साल के लिए प्रस्तावित हैं।
कैसा रहेगा आर्थिक मोर्चा
पूरा देश मौजूदा आर्थिक संकट से परेशान है, लेकिन बिहार में निवेश की संभावनाएं बन रही हैं। औद्योगिक पैमाने पर राज्य की विकास दर काफी कम रही है, इसलिए मंदी के आलम में उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है।
ऐसे में कंपनियों के लिए बिहार एक अच्छा औद्योगिक केंद्र साबित हो सकता है। नए साल में बंद पड़ी चीनी मिलों को चालू कराना, नई इकाइयों की स्थापना आदि कई प्रस्तावित परियोजनाएं हैं।
राज्य के उद्योग विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बिजली, एसएमई और अन्य क्षेत्रों में निवेश की कई योजनाएं बनाई जा रही है, हालांकि इसकी रूपरेखा पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
आएगी खेतों में हरियाली
कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन ने हाल में कहा था कि दूसरी हरित क्रांति बिहार में होगी। इसके बाद बिहार उत्साहित है। कृषि विकास योजनाओं की राशि में 81 फीसदी की बढ़ोतरी की गई।
बाढ़ की वजह से कई फसलों और जमीन को काफी नुकसान हुआ। इस साल आई बाढ़ से जानमाल का काफी नुकसान हुआ है लेकिन पानी के साथ आई मिट्टी से उत्तरी बिहार में जमीन की उर्वरा शक्ति में बढ़ी है, जिससे पैदावार में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
बिहार 2009
बाढ़ की वजह से सड़क, कृषि, लोगों की आजीविका सब प्रभावित हुई, जिसे दुरुस्त करना नए साल में भी राज्य सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती।
मुंबई आतंकी हमले से क्षेत्रीयता की भावना पर विराम लग गया और उम्मीद की जा रही है कि 2009 में मराठी ‘मानुष बनाम उत्तर भारतीय’ मुद्दा ठंडे बस्ते में ही रहेगा।
पूरा देश मौजूदा आर्थिक संकट से परेशान है, लेकिन बिहार में निवेश की संभावनाएं बन रही हैं।
नए साल के एजेंडे में बंद पड़ी चीनी मिलों को चालू करना औरर् नई मिलों की स्थापना शामिल।
बिजली, एसएमई और अन्य क्षेत्रों में निवेश की कई योजनाएं बनाई जा रही है, हालांकि इसकी रूपरेखा पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है।
कृषि विकास योजनाओं की राशि में 81 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।