गरीब लोगों के लिए बिना किसी जमा(नो फ्रिल एकांउटस) के खाता खोलने के सरकारी आदेश के आठ महीने गुजर जाने के बावजूद मध्य प्रदेश के बैंक गरीब लोगों के खाते खोलने को तैयार नहीं है।
यह खाते राजीव गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के तहत मजदूरों को भुगतान के लिए खोले जाने है। सेंट्रल बैंक की अध्यक्ष एच ए दारूवाला का कहना है कि सरकारी आदेश के (मार्च 2008 को दिया गया था) नौ महीने गुजर जाने के बावजूद बैंक न जाने क्यों गरीब लोगों के खाते खोलने को तैयार नहीं है।
खास बात तो यह है कि सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी खाता खोलने की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया है। उपलब्ध आकड़ो के हिसाब से बैंक ऑफ इंडिया ने अभी तक 800 लोगों को कार्ड उपलब्ध करवाए है। स्टेट बैंक ऑफ इंदौर ने लगभग 14,011 कार्डो को बांटा है। यूनीयन बैंक ने 2500 कार्डो का वितरण किया है।
सेट्रंल बैंक ऑफ इंडिया ने भुगतान प्राप्त करने के लिए गरीब लोगों के बीच कार्डो के वितरण को लेकर कोई भी खास प्रयास नहीं किया है।
राज्य के पंचायती और ग्रामीण विभाग के प्रधान सचिव आई एस दानी का कहना है कि हमनें एनआरईजीएस के तहत मजदूरों को भुगतान करने के लिए आईटी आधारित कार्डो को बांटने की योजना बनाई थी।
इसके तहत 19 लाख मजदूरों को 780 करोड़ रूपये का भुगतान करने के लिए यह कार्ड बांटे जाने वाले थे। उन्होंने कहा कि बैंको को इस योजना को सफल बनाने के लिए शीघ्रता दिखानी चाहिए।
राज्य सरकार की एक वरिष्ठ अधिकारी रश्मी शुक्ला शर्मा का कहना है कि न जाने क्यों बैंक स्वयं सहायता समूहों से छोटे स्तर के खातों को खोलने के लिए रबर और कागजातों की मांग कर रहें है। क्या वे खाता खोलने की प्रक्रि या को सरल नहीं कर सकते है।