वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को म्युचुअल फंडों के लिए 33,000 करोड़ रुपये का बैकस्टॉप फंड पेश करेंगी। कॉरपोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (सीडीएमडीएफ) नाम वाले इस बैकस्टॉप फंड को बाजार नियामक सेबी ने मार्च में मंजूरी दी थी। इस फंड में डेट योजनाओं से राशि जमा की जाएगी। इस पहल का मकसद बाजार में दबाव की अवधि में डेट योजनाओं को नकदी मुहैया कराना है।
गुरुवार को जारी सेबी के एक सर्कुलर में कहा गया है कि डेट योजनाओं (पैसिव, ओवरनाइट और गिल्ट फंडों को छोड़कर) का सीडीएमडीएफ के निर्माण से जुड़ी एयूएम में 25 आधार अंक का योगदान होगा। हाइब्रिड फंडों का भी इस फंड में योगदान रहेगा।
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इसके अलावा, परिसपंत्ति प्रबंधन कंपनियां (AMC) 2 आधार अंक का एकमुश्त योगदान करेंगी। कुल संग्रह करीब 3,300 करोड़ रुपये होगा। यह फंड जरूरत पड़ने पर शुरुआती राशि का 10 गुना तक ऋण हासिल कर सकता है। सर्कुलर में सीडीएमडीएफ की निवेश रूपरेखा और मूल्य निर्धारण मॉडल की भी जानकारी दी गई है।
बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान, म्युचुअल फंड योजनाएं बाजार में कमजोर भाव पर बेचने के बजाय उचित मूल्य पर सीडीएमडीएफ पर अपने निवेश-ग्रेड पत्र बेचने में सक्षम होंगी। इस फंड की स्थापना वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के तौर पर की गई है और इसे नैशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी से गारंटी का लाभ मिलेगा।
मुंबई में समान अवसर पर, वित्त मंत्री एएमसी रीपो क्लियरिंग का भी शुभारंभ करेंगी। यह सेबी द्वारा समर्थित और एएमसी द्वारा वित्त पोषित सीमित उद्देश्य वाला क्लियरिंग कॉरपोरेशन है।
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यह प्लेटफॉर्म एएमसी, बीमा कंपनियों, बाजार निर्माताओं और अल्पावधि कारोबारियों जैसी सभी विनियमित इकाइयों को पोजीशन लेने और सूचीबद्ध कॉरपोरेट बॉन्डों तथा डिबेंचर, वाणिज्यिक पत्रों और जमा पत्रों में उनके जोखिमों का प्रबंधन करने में मदद करेगा।
बाजार कारोबारियों का कहना है कि इन दोनों पहलों से कॉरपोरेट बॉन्ड बाजारों का दायरा बढ़ाने और निवेशकों को बाजार के झटकों से बचाने में बड़े पैमाने पर मदद मिलेगी।