कहा जाता है अति सर्वत्र वर्जयते। शायद उत्तर प्रदेश सरकार इस कहावत से वाकिफ नहीं है, इसीलिए उसने मंहगाई और अनाज संकट की भविष्यवाणियों से घबराकर गेहूं की बंपर खरीद कर ली।
इसके चलते हालत यह हो गई कि मजबूरन खुद सरकार को सभी जिलों के अफसरों को यह फरमान जारी करना पड़ गया कि जैसे भी हो गेहूं के स्टोरेज की व्यवस्था की जाए। यही नहीं, यह भी कहा गया है कि बोरों की किल्लत को देखते हुए गर जिला अधिकारी चाहें तो किसी भी गोदाम का अधिग्हण कर सकते हैं या हवाई पट्टियों पर ही भंडारण का इंतजाम कर दें।
अगर इन अफसरों की मानें तो 30 जून तक प्रदेश की भंडारण क्षमता 25 लाख टन से कम से कम 8 लाख टन ज्यादा अनाज की आवक होगी, जिसे रखना एक बड़ी चुनौती होगी। इसके चलते अफसरों ने प्देश की 14 हवाई पट्टियों पर अनाज के भंडारण का फैसला कर लिया है। साथ ही बोरों की अतिरिक्त खरीद की भी कवायद शुरु कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश के अफसरों की जान इस नए फरमान से हलकान हो गई है। वैसे भी इस साल मंडियों में फसल की जोरदार आमद के चलते राज्य के अधिकारी पहले ही परेशान थे। इसके बाद इस साल उत्तर प्रदेश में गेहूं की बंपर खरीद का सरकारी अभियान शुरू कर दिया गया। पिछले साल जहां 2 मई तक मात्र 40000 टन गेहूं की खरीद हुई थी, वहीं इस साल अब तक सरकार 6.27 लाख टन गेहूं खरीद चुकी है।
उत्तर प्रदेश में कुल 25 लाख टन अनाज के भंडारण की क्षमता है और इन गोदामों में पहले से 12 लाख टन चावल मौजूद है। सरकार का मानना है कि 30 जून तक गेहूं की खरीद का आंकड़ा 16 लाख टन पार कर जाएगा। गेहूं के साथ-साथ चावल की भी खरीद सरकारी स्तर पर चल रही है। अलग-अलग सरकारी एजेंसियां हर रोज 20 से 30000 टन चावल की भी खरीद कर रही हैं।