बढ़ती ब्याज दरों और कमजोर शेयर बाजार ने शायद खुदरा निवेशकों के व्यवहार को प्रभावित किया है। इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश मजबूत बना हुआ है लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर निवेशक शेयर बाजार के समक्ष सीधे जोखिम से बच रहे हैं। आंकड़ों से यह संकेत भी मिलता है कि कुछ निवेशकों ने निवेश को इक्विटी के बजाय तयशुदा आय वाली योजनाओं में डाला है जबकि अन्य ने डेरिवेटिव क्षेत्र को चुना है।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2023 में व्यक्तिगत निवेशकों की भागीदारी कई वर्षों के निचले स्तर पर रही तथा एनएसई के कई सक्रिय कारोबारियों की संख्या भी लगातार आठवें महीने कम हुई। स्मॉल कैप श्रेणी में कीमतों में गिरावट आई जबकि वे खुदरा निवेशकों के पसंदीदा हैं।
इससे संकेत मिलता है कि इन शेयरों की मांग कम है। यह खुदरा निवेशकों की घटती रुचि का मजबूत संकेत है। हालांकि निफ्टी 50 पिछले 12 महीनों में 3.5 फीसदी ऊपर गया है लेकिन निफ्टी स्मॉल कैप 100 सूचकांक इसी अवधि में 10 फीसदी गिरा है।
एनएसई का अनुमान है कि उच्च आय वाले व्यक्तियों सहित व्यक्तिगत स्तर पर निवेशकों ने जनवरी में 22,829 करोड़ रुपये का निवेश किया जो मार्च 2020 के बाद न्यूनतम मासिक निवेश है। साथ ही यह फरवरी 2021 के 58,409 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड निवेश से भी काफी कम है। नकद बाजार के कुल निवेश में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 66 फीसदी के उच्चतम स्तर की तुलना में 44 फीसदी रह गई।
जनवरी में एनएसई के सक्रिय खातों की संख्या 3.4 करोड़ रही जो दिसंबर 2022 की तुलना में तीन फीसदी कम थी। यह उनकी संख्या में गिरावट का लगातार आठवां महीना था। जून 2022 में ये खाते 3.8 करोड़ के साथ उच्चतम स्तर पर थे। आईपीओ गतिविधियों में गिरावट खुदरा निवेशकों की घटती भागीदारी का एक और संकेत है।
प्रतिभूति ब्रोकरों का दावा है कि डीमैट खातों के खुलने की दर जो बाजार में खुदरा निवेशकों के प्रवेश से सीधे संबद्ध है, उसमें भी धीमापन आया। सख्त नियामकीय ढांचे और मार्जिन की सख्त जरूरतों आदि ने भी नकदी खंड में कम पूंजी वाले खुदरा निवेशकों को प्रभावित किया होगा।
बहरहाल, म्युचुअल फंड के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि अभी भी इस क्षेत्र में खुदरा भागीदारी मजबूत है। जनवरी में इक्विटी म्युचुअल फंड तथा हाइब्रिड फंड क्षेत्र में 17,000 करोड़ रुपये की आवक हुई। इन दोनों क्षेत्रों में खुदरा निवेशकों का दबदबा है। यह अक्टूबर-दिसंबर 2022 की पूरी तीसरी तिमाही से अधिक है। उस वक्त इन दोनों क्षेत्रों में कुल 11,910 करोड़ रुपये का निवेश आया था।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) योगदान भी वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 10 महीनों में 1.28 लाख करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2021-22 के 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। चूंकि एसआईपी खासतौर पर खुदरा निवेशकों द्वारा अपनाया जाता है इसलिए इससे यह संकेत भी मिलता है कि वे अभी भी इसे लेकर उत्साहित हैं।
सख्त मौद्रिक व्यवस्था, अल्पावधि के सेटलमेंट और सख्त मार्जिन आवश्यकता ने भी शायद नकदी क्षेत्र में खुदरा निवेशकों की भागीदारी को प्रभावित किया हो। ऐसे संकेत भी हैं कि कुछ कारोबारी डेरिवेटिव क्षेत्र का रुख कर चुके हैं क्योंकि दैनिक वायदा और विकल्प कारोबार बीते 12 महीनों में दोगुना से अधिक हो चुका है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो ऐसा लगता है कि जोखिम से बचने वाले खुदरा निवेशकों ने फंड आधारित निवेश को अपनाया है और वे सावधि जमा पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। जबकि इसके साथ ही उच्च जोखिम लेने वाले दैनिक कारोबारी डेरिवेटिव का रुख कर चुके हैं जहां समान मार्जिन पर अधिक नकदी मौजूद है।